विविध समाचार

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झपसी बरसात
  • Post by Admin on Oct 05 2025

बरसात आई, बदरा छाए,  गांव के रस्ते फिर दलदल पाए । तीन दिन से नभ झुका हुआ,  धरती का आंचल भीगा हुआ। कुएं का पानी , पोखर लबालब,  छत से टपके बूंदों का जलतरंग सब। मां कहे- "झपसी लागल रे बेटा !"  खेतन में सोने लगल है मेड़ा। गाय बंधी बथान में चुपचाप,  चूल्हा बुझा, उठे धुंआ आप। बालक खेले छप्पर के नीचे,  कागज की नाव चले धीरे-धीरे। पानी में भींगती है आस,   read more

वर्ल्ड स्माइल डे : एक मुस्कान, जो बदल सकती है किसी का दिन और जीवन
  • Post by Admin on Oct 03 2025

नई दिल्ली : जीवन की तेज़ रफ्तार और बढ़ते तनाव के बीच मुस्कुराना अब लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। कभी ऑफिस का दबाव, कभी घर की जिम्मेदारियां, कभी रिश्तों की उलझन और कभी भविष्य की चिंता—इन सबके बीच हम अक्सर अपनी मुस्कान खो देते हैं। लेकिन एक छोटी सी मुस्कान किसी का दिन बना सकती है और जीवन की दिशा बदल सकती है। इसी भावना के साथ हर साल अक्टूबर के पहले शुक्रवार को दुनिया   read more

बिहार की शिक्षा व्यवस्था संकट में : नारों और आंकड़ों की दौड़ में खो गई पढ़ाई
  • Post by Admin on Sep 29 2025

बिहार की शिक्षा व्यवस्था लगातार सवालों के घेरे में है। "सब पढ़ें, सब बढ़ें" जैसे नारों और "गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा" के स्लोगन के बीच अब सरकारी विद्यालयों की जमीनी हकीकत चिंताजनक हो गई है। शिक्षा विभाग के लगातार नए-नए प्रयोगों का खामियाजा सबसे ज्यादा दबे-कुचले और वंचित समाज के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। विद्यालयों में पढ़ाई का वातावरण बनाने की बजाय आंकड़ों और डाटा संग्र   read more

कर्ज के जंजाल में फंसी युवा पीढ़ी, उपभोक्तावाद की होड़ से बढ़ रहा संकट
  • Post by Admin on Sep 28 2025

मुजफ्फरपुर : बदलती जीवनशैली और आधुनिक सुविधाओं की चाह ने युवा पीढ़ी को कर्ज के ऐसे जाल में उलझा दिया है, जिससे निकलना कठिन होता जा रहा है। नौकरी शुरू होते ही घर, गाड़ी, मोबाइल, ए.सी., फर्नीचर जैसी सुविधाओं को तुरंत पाने की चाह में युवा बिना सोचे-समझे लोन लेने की प्रवृत्ति में फंसते जा रहे हैं। बैंकों और वित्तीय संस्थानों की आसान किस्तें और आकर्षक ऑफर्स इस प्रवृत्ति को और बढ   read more

भीकाजी कामा : क्रांति की मशाल, जिसने अंग्रेजी हुकूमत को ललकारा
  • Post by Admin on Sep 23 2025

नई दिल्ली : कल्पना कीजिए उस दौर की जब महिलाओं का जीवन घर की चारदीवारी तक ही सीमित था। चूल्हा-चौका, बच्चों की परवरिश और परिवार की देखभाल ही उनके दायरे में आती थी। ऐसे समय में भीकाजी कामा ने इन सभी सीमाओं को तोड़कर इतिहास रच दिया। उन्होंने केवल अपने घर की दहलीज ही नहीं पार की, बल्कि विदेशी जमीन से भारत की आज़ादी की आवाज़ को विश्व पटल पर बुलंद किया। भीकाजी कामा भारतीय स्वत   read more

प्राचार्य की महानता कॉलेज के आकार से नहीं, छात्रों पर पड़े प्रभाव से मापी जाती है : डॉ. अरुण
  • Post by Admin on Sep 20 2025

बेंगलुरु : बेंगलुरु सिटी (कर्नाटक) के होम्योपैथिक चिकित्सक और क्रॉनिक डिजीज एवं किडनी स्टोन विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार सिंह ने एक लेख में शिक्षा व्यवस्था और प्राचार्यों की भूमिका पर गहन विचार व्यक्त किए हैं। उनका कहना है कि समाज में यह गलत धारणा बन चुकी है कि बड़े कॉलेज का प्राचार्य, छोटे कॉलेज के प्राचार्य से अधिक महान होता है, जबकि वास्तविकता यह है कि महानता का आकलन कॉलेज   read more

नीम करौली बाबा : समाधि के बाद भी उमड़ता है भक्तों का आस्था-सागर
  • Post by Admin on Sep 10 2025

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में 1900 में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा, जिन्हें नीम करौली बाबा के नाम से जाना जाता है, आज भी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त करने के बाद संन्यास लेने वाले नीम करौली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है। बाबा ने 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में समाधि ली थी। देश और विदेश में बाबा के   read more

चैटजीपीटी और गूगल से पहले भी था ज्ञान-स्रोत, जानिए आप्तदेश के रहस्य
  • Post by Admin on Sep 07 2025

नई दिल्ली : डिजिटल युग में जब ज्ञान के अनगिनत स्रोत इंटरनेट, गूगल और चैटजीपीटी जैसे प्लेटफॉर्म्स हैं, तब भी हजारों साल पहले वैद्यों, ऋषियों और आचार्यों द्वारा स्थापित "आप्तदेश" का महत्व उतना ही प्रासंगिक है। आप्तदेश वह पारंपरिक ज्ञान है जो अनुभव, आत्मबोध और सत्यनिष्ठा पर आधारित होता है। 'आप्त' का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो पूर्णतः ज्ञानी हो, सत्य बोलता हो और स्वार्थ   read more

शिक्षक दिवस : डॉ. राधाकृष्णन के आदर्शों से प्रेरित परंपरा, शिक्षा को मानती है समाज सुधार का माध्यम
  • Post by Admin on Sep 04 2025

नई दिल्ली : ज्ञान के बिना जीवन अधूरा है, लेकिन इसे वास्तविक रूप से आकार देने का काम शिक्षक करते हैं। शिक्षक नई पीढ़ी को एक मजबूत भविष्य के लिए तैयार करते हैं, जिसमें उन्नति, संस्कार और सामाजिक समृद्धि समाहित होती है। भारतीय संतों ने भी गुरु की महत्ता को उजागर किया है। प्रसिद्ध दोहे में कहा गया है, "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो ब   read more

शिक्षक वही जो मोमबत्ती बनकर दूसरों को रोशन करें : डॉ. अरुण कुमार सिंह
  • Post by Admin on Sep 04 2025

बेंगलुरु : होमियोपैथिक चिकित्सक और क्रॉनिक डिजीज एवं किडनी स्टोन विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार सिंह ने शिक्षक दिवस के अवसर पर पूरे भारत के शिक्षकों के साथ ही आम जनता को भी शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं और उनके बिना कोई भी समाज सही दिशा में प्रगति नहीं कर सकता। डॉ. सिंह ने भारत के महान शिक्षक और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन क   read more