काकोरी कांड: ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिला देने वाला युवाओं का साहसिक विद्रोह

  • Post By Admin on Aug 08 2025
काकोरी कांड: ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिला देने वाला युवाओं का साहसिक विद्रोह

नई दिल्ली : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की यादगार घटनाओं में से एक ‘काकोरी कांड’ ने 9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश शासन को चौंका दिया था। उत्तर प्रदेश के लखनऊ के निकट काकोरी रेलवे स्टेशन पर हुई इस ट्रेन डकैती ने न केवल अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती दी, बल्कि देश के युवाओं में आजादी की अलख को और प्रज्वलित कर दिया।

यह कांड हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) के क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश खजाने को लूटने की साहसिक योजना का हिस्सा था, ताकि स्वतंत्रता संग्राम के लिए हथियार और संसाधन जुटाए जा सकें। इस संगठन के प्रमुख नेताओं में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद, राजेंद्र लाहिड़ी जैसे शूरवीर थे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की।

8 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर में हुई एक बैठक में योजना बनाकर अगली सुबह ट्रेन को रोक कर लूट की गई। क्रांतिकारियों ने जर्मन माउजर पिस्तौल से लैस होकर ब्रिटिश सरकार के खजाने के बक्से तोड़े और हजारों रुपए कब्जे में लिए। हालांकि इस दौरान एक यात्री की गोली लगने से मृत्यु हो गई, जिससे यह मामला हत्या में तब्दील हो गया।

ब्रिटिश हुकूमत ने क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए कड़ा अभियान चलाया और जल्द ही कई नेताओं को गिरफ्तार कर फांसी की सजा दी गई। राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी शहादत देकर आज़ादी की लड़ाई को मजबूती दी। चंद्रशेखर आजाद जैसे नेता भाग निकले और संघर्ष को जारी रखा।

काकोरी कांड भारतीय युवाओं के साहस और देशभक्ति का प्रतीक बन गया। इस घटना ने साबित कर दिया कि आज़ादी के लिए लड़ने वाले युवा किसी भी कीमत पर अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं। यह केवल एक ट्रेन डकैती नहीं थी, बल्कि अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह की एक बड़ी मशाल थी, जिसने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा ही बदल दी।