विविध समाचार

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बिहार की राजनीति में प्रशासनिक अधिकारियों का बढ़ता रुझान, बदलते समीकरण और संभावनाएं
  • Post by Admin on Sep 20 2024

बिहार : बिहार की राजनीति ने हमेशा से देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल के दिनों में राज्य की राजनीति में एक नया रुख देखने को मिल रहा है, जहां कई प्रशासनिक अधिकारी राजनीति की ओर अपना रुझान दिखा रहे हैं। इस बदलते परिदृश्य ने न केवल बिहार की राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों   read more

ग्लोबल वॉर्मिंग से दो अरब लोग भीषण गर्मी की चपेट में: रिपोर्ट
  • Post by Admin on Sep 20 2024

नई दिल्ली : एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जून से अगस्त 2024 के बीच, दुनियाभर में लगभग 2 अरब लोग (वैश्विक जनसंख्या का करीब 25%) ऐसे तापमान का सामना कर रहे थे, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक थे और इनमें जलवायु परिवर्तन का सीधा असर देखा गया। इन तीन महीनों के दौरान, हर चार में से एक व्यक्ति को प्रतिदिन जलवायु परिवर्तन द्वारा प्रेरित खतरनाक गर्मी का सामना करना पड़ा। इसके पीछे मुख्य रूप से कोयला, त   read more

शहर के युवा समाजसेवी प्रकाश का सराहनीय प्रयास : साईं की रसोई के माध्यम से भूखों की मदद
  • Post by Admin on Sep 09 2024

मुजफ्फरपुर : कहते हैं, जब किसी की मदद के लिए हाथ उठता है, तो दुआएं निकलती हैं। ऐसा ही कुछ प्रकाश के साथ हो रहा है, जो इस बेरहम दुनिया में दूसरों को अपना मानकर मदद करने का बीड़ा उठाए हुए हैं। समाज के प्रति धैर्य, विश्वास और आत्मचिंतन से भरे प्रकाश ने अपनी जिंदगी की चिंताओं को परे रखते हुए, समाज सेवा का रास्ता चुना है।  शहर के यह युवा समाजसेवी दिन-रात की परवाह किए बिना, जरूरतम   read more

बच्चों को जीवन के मूलभूत मूल्यों और संस्कारों से अवगत कराना शिक्षकों का कर्तव्य
  • Post by Admin on Sep 05 2024

5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर, यह महत्वपूर्ण है कि हम बच्चों को केवल शैक्षिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि संस्कार, सभ्यता और संस्कृति का भी महत्व समझाएं। यह पहल हमारे देश के भविष्य को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है। शिक्षक दिवस का दिन शिक्षकों के महत्व को मान्यता देने के साथ-साथ यह भी याद दिलाता है कि शिक्षक केवल पढ़ाई ही नहीं कराते, बल्कि वे बच्चों को जीवन के मूलभूत मूल्यों और संस्कार   read more

शिक्षक राष्ट्र की धुरी : डॉ. सुधीर कुमार
  • Post by Admin on Sep 05 2024

पटना: शिक्षक राष्ट्र की धुरी होते हैं और किसी भी राष्ट्र की उन्नति का मुख्य आधार शिक्षक ही होते हैं। यह विचार वृहस्पतिवार को पीटीईसी मसौढी में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मसौढी के प्रख्यात चिकित्सक एवं एन एम सीएच में प्राध्यापक डॉ. सुधीर कुमार ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शिक्षण महज एक पेशा नहीं, बल्कि यह सबसे बड़ी राष्ट्र सेवा है और शिक्षक   read more

शिक्षक दिवस पर होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. अरुण कुमार का संदेश
  • Post by Admin on Sep 05 2024

मुजफ्फरपुर: भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के समर्पण, मार्गदर्शन और उनके योगदान के प्रति आभार प्रकट करने का महत्वपूर्ण अवसर होता है। गुरु-शिष्य के अनमोल रिश्ते को मान्यता देने वाला यह दिन विशेष महत्व रखता है। 1962 में जब डॉ. राधाकृष   read more

शिक्षकों पर चादरपोशी
  • Post by Admin on Sep 04 2024

आज सवेरे-सवेरे श्रीमती जी ने एक प्रश्न प्रक्षेपित कर दिया -‘सुना है शिक्षक दिवस के दिन आप सभी शिक्षक सरकार के द्वारा सम्मानित किए जाएंगे ? ‘ उनके द्वारा प्रक्षेपित प्रश्न की चिकनी ‘काई’ पर वेतन विहीन इस व्यथित मास्टर का मन फिसलते -फिसलते बचा ! मैंने उनकी इस जासूसी पर मुग्ध होते हुए प्रतिप्रश्न किया -‘किसने कहा ?’ वह तमककर बोली -‘आपको क्या लगता है , आप न बतलाएंगे तो मुझे मालू   read more

सार्वकालिक व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई
  • Post by Admin on Aug 24 2024

किसी भी महान लेखक को तत्कालीन समय, समाज, परिस्थितियां और उनसे निर्मित झंझावात गढ़ता है । जब तमाम तरह की विसंगतियों एवं तपिश में तपकर वह बाहर निकलता है तब वह निडर, निष्पक्ष , ठोस एवं सार्वकालिक लोक शिक्षक की भूमिका में आ जाता है । व्यंग्य शिरोमणि हरिशंकर परसाई के व्यंग्यकार का निर्माण भी कुछ उन्हीं परिस्थितियों में हुआ । यही कारण है कि प्रेमचंद की तरह परसाई की रचनाएं भी  पाठकों के   read more

हरिशंकर परसाई जयंती पर विशेष 
  • Post by Admin on Aug 23 2024

शिक्षकों की कई श्रेणियों में एक 'लोक शिक्षक' की है, जिसमें तमाम श्रेणियां पर्यवसित हो जाती है । इसका संबंध किसी 'पद' से नहीं बल्कि समाज व राष्ट्र के प्राण से है , प्राणवायु से है ! लोक शिक्षक की सेवा का मूल्यांकन घंटों से नहीं बल्कि सुप्त जनचेतना की जागृति के परिमाण से किया जाता है । हिंदी व्यंग्याकाश के सूर्यपिंड हरिशंकर परसाई के भीतर के शिक्षक ने जब विस्तार पाते हुए व्यष्टिगत   read more

महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचार समाज के नैतिक और कानूनी ढांचे पर उठा रहे सवाल
  • Post by Admin on Aug 22 2024

भारत, जो अपनी संस्कृति, विविधता और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है, आज महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचारों की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि समाज के नैतिक और कानूनी ढांचे पर भी सवाल खड़े करती है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में वृद्धि के साथ, यह आवश्यक हो गया है कि सरकार सख्त कानून बनाए और उन्हें सख्ती से लागू करे, ताकि इन अपराधों पर लगाम लगाई ज   read more