विविध समाचार

दिखाया गया है 251 चीज़े में से 241-250 ।
लोगों को भविष्य बताने वाले का अपना भविष्य लटका अधर में
  • Post by Admin on Jun 11 2018

न्यूज़ डेस्क :-  हर कुछ दिन के बाद कोई न कोई बाबा ख़बर में आते ही रहते हैं। आशाराम बापू के बाद अब उन्हीं बाबाओं के लिस्ट में एक और नया नाम शामिल हुआ है वो हैं महामंडलेश्वर शनिधाम परमहंस दाती जी का।   दाती महाराज के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 377, 354 & 34 में मुकदमा दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार दाती महाराज की एक शिष्या ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। इसके बाद ही दिल्ली प   read more

प्रेम को प्रेम ही रहने दो
  • Post by Admin on Jun 10 2018

प्रेम सिर्फ़ प्रेम होता है. एक वक़्त के बाद प्रेम आत्मा के साथ शरीर में उतरता ही है. इस बात को चाहे जितना भी झुठला लीजिए सच यही है. अगर आप प्रेम में हैं तो अपने प्रेयसी/प्रेमी का सामीप्य आपको चाहिए ही होता है. सामान्य भाषा में आप सेक्स कह सकते है मगर प्रेम में सेक्स नहीं लव-मेकिंग होता है. पता नहीं इस बात को स्वीकार करने में क्या दिक़्क़त है हम भारतीयों को! ख़ैर उस पर बाद में ल   read more

प्यार की कोई उम्र नहीं होती. पढ़िए एक सदाबहार लव स्टोरी अनु रॉय की क़लम से.
  • Post by Admin on Jun 10 2018

मुंबई :-  शादी की चालीसवीं सालगिरह थी. किसी और को तो क्या ही याद रहता ख़ुद पतिदेव तक भूल हुए थे. सुबह उठ कर बेटा-बहू को नाश्ता बना कर दिया. उनके ऑफ़िस जाने के बाद बाल धो कर नहाईं और मंदिर जाने को हुई ही थी कि पतिदेव ने एक कप चाय की डिमांड रख दी. ग़ुस्सा तो आया. सोचा कि चाय के बदले गर्म पानी सिर पर डाल दे बूढ़उ के मगर मन मसोर कर चाय बना कर दे आयी.  फिर मंदिर चली गयी. थोड़ी देर में वापि   read more

कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ में आया आदमखोर मगरमच्छ
  • Post by Admin on Apr 11 2018

शाहजहाँपुर/ न्यूज़ डेस्क – शाहजहाँपुर जिले की ब्लॉक जलालाबाद में थाना क्षेत्र अल्हागंज के ग्राम बिचपुरिया में रामगंगा नदी में अचानक मगरमच्छ आ गया जिसने अभी एक सप्ताह पहले एक व्यक्ति को मगरमच्छ ने अपना शिकार बना लिया जिससे आहत होकर लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस अल्हागंज को दी जिसके बाद बन विभाग से लेकर पुलिस प्रशासन, आगरा से आयी टीम सहित स्थानीय ग्रामीणों की मदद क   read more

Gmail पर अपनी फाइल्स को नहीं कर पा रहे हैं स्टोर, तुरंत इन तरीकों को अपनाएं
  • Post by Admin on Mar 26 2018

सुदामा न्यूज़ : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मोबाइल फोन हर इंसान की जरूरत बन चुकी है। अपने रोज़मर्रा की जरूरत की कागजातों को लोग फोन में ही सेव करके रखते हैं ताकि उन्हें जब उसकी जरूरत हो वो इस्तेमाल कर सके। लेकिन हमारे फोन की संग्रहण क्षमता तो सीमित होती है। Gmail अपने उपभोक्ताओं को 15 जीबी की स्टोरेज फ्री देती है। इसके बाद की स्टोरेज आपको खरीदनी पड़ती है। लेकिन अगर आप स्टोरेज खरीदना न   read more

क्रांतिकारियों को आतंकी कहना विदेशी साजिश : डा. सुधांशु कुमार
  • Post by Admin on Mar 23 2018

भारत के सबसे बड़े क्रांतिकारी थे शहीदेआजम भगत सिंह, जिन्होंने शोषणमुक्त समरस भारत की कल्पना की थी । उनका सपना आज भी अधूरा है ।भारत की स्वतंत्रता में उनका योगदान किसी से कम नहीं । भगत सिंह , राजगुरु , सुखदेव और चन्द्रशेखर आजाद आजादी के सबसे बड़े योद्धाओं में से थे । कुछ इतिहासकारों ने कुत्सित योजनांतर्गत भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद जैसे शहीदों को आतंकवादी कहकर उनका अपमान किया है । विडं   read more

परिधि से बाहर 2 : रजनीश
  • Post by Admin on Mar 18 2018

निःशब्दता की रात में, वायु की सन-सन गति निस्तब्ध, एकांत और सन्नत मन की नीरवता विबुधापगा में लीन, किसी अनजान दीप्ती-प्रभा की खोज में लोकायत को चुनौती देती है | रात सचमुच एक रहस्य लगती है |   read more

परिधि से बाहर कविता : डॉ. संजय पंकज
  • Post by Admin on Mar 18 2018

लो फिर तना कुहरा घना ! हादसों का फिर सिलसिला किससे करें शिकवा गिला गूफ्तगू में राजा यहाँ फिर प्रजा पर पहरा बना । डूबते को डूब जाना उस पर मना कुनमुनाना तिमिर से क्यों रौशनी का खौफ इतना गहरा छना । यह समय का चक्र ऐसा राज रथ है बक्र कैसा केसरी तन सिमटा हुआ मेमनों सा दुहरा बना ।   read more

राष्ट्रकवि दिनकर जी की अविस्मरणीय रचना
  • Post by Admin on Mar 18 2018

ये धुंध कुहासा छंटने दो           रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो           फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकृति दुल्हन का रूप धर            जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता            घर -घर खुशहाली लायेगी, तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि            नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूम   read more

परिधि से बाहर : डॉ. संजय पंकज
  • Post by Admin on Mar 18 2018

नदी का सतत प्रवाह कलकल छलछल करती उछलती मचलती लहरें जिसे चूमने उतरती हैं सूरज की बेटियाँ बहनों के संग आ जाती हैं नृत्य करती हवाएं सर्दी के दिनों में नदी की कोख में जा समाती है आग और इन सबको अपनी छाती में संभाले पृथ्वी कभी इतराती नहीं और अपनी नित्य सखी प्रकृति से गलबहियाँ करती पर्वत से सागर तक नदी को बहने देती है अनवरत प   read more