समलैंगिक विवाह से चरमरा जाएगा पारिवारिक ढांचा : प्रो. सत्या मिश्रा

  • Post By Admin on May 05 2023
समलैंगिक विवाह से चरमरा जाएगा पारिवारिक ढांचा  : प्रो. सत्या मिश्रा

लखनऊ : समलैंगिक विवाह से पारिवारिक व सामाजिक ढांचा चरमरा जाएगा। ऐसे परिवार में पलने वाली संतानों में मानसिक विकृति की संभावना बनी रहेगी और शर्मिदंगी भी उठानी पड सकती है। समाज से छेड़छाड़ पर नए तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता पड़ेगी। हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता शैलेंद्र मिश्रा ने समलैंगिंक विवाह से समाज में भविष्य में पड़ने वाले प्रभाव पर जब समाज शास्त्रियों से बात की तो उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए।

समाजशास्त्री प्रो. सत्या मिश्रा ने कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर समलैंगिंक विवाह का विरोध करती हूं। यह एक सामान्य विवाह के नियम से परे है। उन्होंने कहा कि समलैंगिंक विवाह से आने वाले समय में समाज में विचलन पैदा हो जाएगा। समाज की निरंतरता में बाधा पहुंचेगी। प्रो. मिश्रा कहती है कि स्त्री-पुरूष का विवाह संतान उत्पत्ति के प्रयोजन से होता है, जिससे एक सभ्य संगठित समाज संचालित हो सके, जो प्रकृति के नियम के अनुकूल भी है। उन्होंने कहा कि एक परिवार की परिकल्पना एक पुरूष-स्त्री और संतान से होती है, लेकिन समलैंगिंक विवाह में तो या तो पुुरूष -पुरूष होंगे या स्त्री-स्त्री होगी। संतान कहां से आएगी और यदि संतान को गोद ले भी लिया तो जो उसे भविष्य में शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है। उस संतान में मानसिक विकृतियां पैदा हो सकती है। वह उतना परिपक्व नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा इससे परिवारिक ढांचा चरमरा जाएगा। पारिवारिक व्यवस्था बिगड़ने से समाजिक व्यवस्था भी बिगड़ जाएगी। समलैंगिक विवाह एक अप्राकृतिक सोच है।

समाजशास्त्री डॉ. अपर्णा सेंगर ने कहा कि विवाह से समाज सभ्य बना रहता है। यह संस्था समाज को संरक्षित रखता है। यह समाज को विस्तारित करती है। समलैंगिंक विवाह से समाज की बेसिक व्यवस्था को नुकसान हो जाएगा। व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी। विचलन पैदा हो जाएगा। डॉ. सेंगर ने कहा कि एक संगठित समाज की व्यवस्था के चरमराने से उसे नए तरह से परिभाषित करने की आवश्यता पड़ेगी। विवाह व परिवार का जो मूलभूत उद्देश्य हीं पूरा नहीं हो पाएगा। इससे समाज में कुरूतियां पैदा हो जाएंगी। समाज में स्वतंत्रता नहीं स्वछंदता, अराजकता आ जाएगी। इसको संभालने के लिए भी आगे नियमों की आवश्यकता होगी।

मानवशास्त्री प्रो. विभा अग्निहोत्री ने कहा कि हिन्दु धर्म में विवाह को एक संस्कार बताया गया है, जो एक पवित्र संस्था है। हिन्दु धर्म में स्त्री-पुरूष के विवाह को संतान उत्पत्ति का माध्यम बताया गया जो एक प्रकृति का नियम भी है, इसी से समाज और प्रकृति भी संचालित होती है। अगर ऐसा नहीं होगा तो परिवार और समाज का संचालन ही डगमगा जाएगा। हमारे धर्म और संस्कारों में विवाह की कामनाओं को पूर्ण करने का साधन नहीं बताया गया है। हमारी एक सामााजिक व्यवस्था चली आ रही है, अगर इससे छेड़छाड़ की गई तो समाज की प्रगति ही बाधित हो जाएगी। समलैंगिक में विवाह संतान तो नहीं हो सकती, गोद लेना ही पड़ेगा, जिसमें मानसिक विकृति की संभावना बनेगी।