शांति सुमन की जन्मजयंती के अवसर पर वेबिनार का आयोजन
- Post By Admin on Sep 19 2024

मुजफ्फरपुर : हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री शांति सुमन की जन्मजयंती के अवसर पर थिंक बिहार रिसर्च फाउंडेशन के तत्वावधान में एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से 100 से अधिक साहित्यप्रेमी जुड़े। वेबिनार में जिले के प्राध्यापक और साहित्यकारों ने शांति सुमन की रचनाओं पर गहन चर्चा की, विशेषकर उनकी रचनाओं में बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित तत्वों पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता लंगट सिंह कॉलेज के सहायक आचार्य एवं भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक ने की। उन्होंने शांति सुमन के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वे हिन्दी नवगीत की पहली महिला रचनाकार थीं और उन्होंने अपने साहित्य साधना से हिन्दी को समृद्ध किया। उनके गीतों में देशज बिंबों की अभिव्यक्ति बहुत सटीक और गहन होती है। उन्होंने हाल ही में "सानिध्या" नामक कृति के लिए मान बहादुर सम्मान प्राप्त किया है, लेकिन उनके गीतों पर अभी भी आलोचकों का समुचित ध्यान नहीं गया है।
मुख्य वक्ता चितरंजन कुमार ने शांति सुमन के उपन्यास "जल चुका हिरण" की चर्चा की, जो 1985 में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने इसे एक अद्वितीय उपन्यास बताया और कहा कि यह उपन्यास अपने आप में इतना महत्वपूर्ण है कि शांति सुमन सिर्फ इसे लिखकर भी हिन्दी साहित्य में अमर हो जातीं। शांति सुमन को हिन्दी नवगीत और जनगीत की प्रथम कवयित्री होने का भी गौरव प्राप्त है।
मुख्य अतिथि और शांति सुमन की पुत्री, डॉ. चेतना वर्मा ने अपनी माँ की जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शांति सुमन ने संघर्षों का सामना करते हुए साहित्यिक ऊंचाइयों को छुआ। घर-परिवार और साहित्य के बीच संतुलन बनाते हुए उन्होंने साहित्यिक यात्रा को जारी रखा।
इस कार्यक्रम का आयोजन थिंक बिहार रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य बिहार के गुमनाम साहित्यकारों और उनकी रचनाओं को सामने लाना है।