शराब पीकर झंडा फहराने पहुंचे हेडमास्टर, कहा जीने के लिए जरूरी है पीना
- Post By Admin on Jan 27 2025

मुजफ्फरपुर : गणतंत्र दिवस के मौके पर जब पूरा देश अपने स्वतंत्रता संग्राम और गणराज्य के महत्व को सम्मानित कर रहा था, तब बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने राज्य में शराबबंदी के प्रभाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। रामपुरहरि थाना क्षेत्र स्थित राजकीय मध्य विद्यालय धर्मपुर पूर्वी के प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह शराब के नशे में झंडा फहराने पहुंचे। जिसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह घटना न केवल स्कूल में उपस्थित शिक्षकों और छात्रों के लिए हैरान करने वाली थी, बल्कि यह शराबबंदी की सख्ती पर भी गंभीर प्रश्न उठाती है।
नशे में झंडा फहराने पहुंचे हेडमास्टर
गणतंत्र दिवस पर जब सभी देशवासियों में उत्साह और जोश था, उसी दिन संजय कुमार सिंह शराब के नशे में झंडा फहराने के लिए मंच पर पहुंचे। उनकी स्थिति इतनी खराब थी कि वह अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। जिससे मौके पर मौजूद शिक्षक और बच्चे अचंभित रह गए। यह दृश्य न केवल राष्ट्रीय पर्व के महत्व को नकारता था, बल्कि यह भी दर्शाता था कि शराबबंदी के बावजूद कुछ लोग इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं।
स्थानीय पुलिस ने किया गिरफ्तार
जब स्कूल में उपस्थित कुछ लोगों ने हेडमास्टर की नशे में धुत स्थिति को देखा, तो उन्होंने तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और प्रधानाध्यापक को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने हेडमास्टर के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उन्हें शराब के प्रभाव में सार्वजनिक स्थान पर कार्य करने के आरोप में गिरफ्तार किया। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि राज्य में शराबबंदी के बावजूद लोग इस कानून की अवहेलना कर रहे हैं।
शराबबंदी पर उठते हैं सवाल
यह घटना बिहार में लागू शराबबंदी के प्रभाव और उसके कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल उठाती है। राज्य सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था, लेकिन इस तरह की घटनाएं दिखाती हैं कि कानून पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा है। शराब के नशे में सरकारी अधिकारी द्वारा सार्वजनिक समारोह में हिस्सा लेना, न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि यह समाज में शराब के खिलाफ जागरूकता और सख्त कानून की आवश्यकता को भी दर्शाता है।
स्कूल के छात्रों और शिक्षकों के लिए चौंकाने वाली घटना
यह घटना न सिर्फ शराबबंदी के पालन पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि एक सरकारी अधिकारी द्वारा राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को ठेस पहुंचाने का गंभीर मामला भी है। विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के लिए यह बेहद चौंकाने वाला था, क्योंकि गणतंत्र दिवस के दिन ऐसे किसी घटना का होना, खासकर एक शिक्षक से, उनका विश्वास हिलाकर रख देता है।
इस घटना ने शराबबंदी की सख्ती पर सवाल उठाते हुए, यह भी दर्शाया कि ऐसे कानूनों को प्रभावी बनाने के लिए और अधिक कड़ी निगरानी और सजा की आवश्यकता है।