कठपुतली कला की धरोहर संभालते सुनील सरला, पुरखों की परंपरा को दे रहे नया आयाम

  • Post By Admin on Jun 15 2024
कठपुतली कला की धरोहर संभालते सुनील सरला, पुरखों की परंपरा को दे रहे नया आयाम

मुजफ्फरपुर : कठपुतली कलाकार सुनील सरला ने अपने पिता और पुरखों की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। सुनील ने अपने पिता के जीवन और उनके द्वारा दी गई प्रेरणा को याद किया, जो सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाते थे।

सुनील बताते हैं, "बचपन से बाबूजी को सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते देखा और उन्होंने हमें भी इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा में समर्पित कर दिया।"

सुनील की पत्नी सरला श्रीवास, जो बालाघाट, मध्यप्रदेश से हैं, उनके साथ विवाह के सफर को भी वे याद करते हैं। सरला की दूसरी बार मुजफ्फरपुर आगमन के दौरान उनके मन की बात पिता जी ने समझ ली थी। सरला के तीसरी बार आने पर शादी की योजना बनने लगी। "हम साधारण तरीके से या कोर्ट मैरिज करना चाह रहे थे, लेकिन पिता जी ने रस्म-रिवाज के साथ शादी की योजना बनाई, जिसका सम्मान हमने किया।"

सरला श्रीवास की मृत्यु के बाद, सुनील के पिता ने सरला के अंतिम दिनों में उनकी देखभाल की। "श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज में भर्ती के दौरान, पिता जी रोज़ाना सरला के लिए गर्म भोजन लाते और हमें प्रेरित करते रहे कि सब ठीक हो जाएगा। 21 मार्च 2020 को सरला के निधन के बाद, हमने उन्हें बहुत दुःखी देखा।"

उनके पिता ने अपने दुःख को छिपाकर सुनील को हौसला दिया और सरला की पुण्यतिथि के बाद दूसरी शादी की तैयारी की। "शादी की तारीख तय होने के बाद, 21 अप्रैल 2021 को पिता जी भी इस दुनिया को छोड़ गए। 20 मई 2021 को मां ने दूसरी शादी की तारीख को शादी संपन्न कराई।"

सुनील की एक बेटी, राजनंदनी, अब दो साल की है। "पिता जी की वजह से कभी कोई कमी का सामना नहीं करना पड़ा।" सुनील अपने पिता की स्मृति में 'सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान' के माध्यम से पुरखा पुरनिया संवाद सह सम्मान कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। "इन कार्यक्रमों में टोले-मोहल्ले के लोक नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।"

अपने पिता के योगदान को याद करते हुए सुनील कहते हैं, "पिता जी ने हमारे लिए शिक्षा, स्वतंत्रता और प्रेरणा दी। उनकी स्मृति में सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होकर उन्हें धन्यवाद कहता हूँ।"