नालंदा ज्ञान कुंभ का उद्घाटन, भारतीय ज्ञान परंपरा को 2047 में विकसित भारत के निर्माण में सहयोग देने की अपील

  • Post By Admin on Nov 18 2024
नालंदा ज्ञान कुंभ का उद्घाटन, भारतीय ज्ञान परंपरा को 2047 में विकसित भारत के निर्माण में सहयोग देने की अपील

नालंदा : नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में रविवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित नालंदा ज्ञान कुंभ के उद्घाटन समारोह में बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि नालंदा की भूमि ज्ञान और शिक्षा की परंपरा से जुड़ी रही है और यहाँ आए हुए प्रतिनिधि और शोधार्थी इस परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्ष 2047 में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा का सशक्त रूप से योगदान मिलेगा।

विकसित भारत @ 2047: 
भारतीय ज्ञान परंपरा के विषय विकसित भारत @ 2047 पर विस्तार से चर्चा करते हुए राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि इस समय में स्व के जागरण का बहुत महत्व है। उन्होंने स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वपरंपरा को जागृत कर भारत को आत्मनिर्भर और विकासशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। राज्यपाल ने भारतीय शिक्षा के संदर्भ में कहा कि अंग्रेजी की बजाय अपनी मातृभाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए, ताकि भारत अपने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

इस कार्यक्रम में नालंदा ज्ञान कुंभ का उद्घाटन राज्यपाल आर्लेकर, पूर्व राज्यपाल सिक्किम गंगा प्रसाद, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह, ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार और पूर्व कुलपति प्रो. केसी सिन्हा ने दीप जलाकर किया।

भारतीय ज्ञान परंपरा पर विशेष प्रकाश
पूर्व राज्यपाल सिक्किम गंगा प्रसाद ने भारतीय संस्कृति और भाषा पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि 2047 तक भारत को फिर से आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। इसके लिए हमें नालंदा की प्राचीन शिक्षा पद्धतियों को पुनः स्थापित करना होगा। उन्होंने बताया कि भारत हमेशा शांति का संदेश देता रहा है और यह समय है कि हम अपने आत्मनिर्भर शिक्षा मॉडल की ओर बढ़ें।

डॉ. अतुल कोठारी ने भारतीय शिक्षा नीति और उसकी मातृभाषा आधारित शिक्षा के महत्व पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा में कभी भी कोई पूर्ण विराम नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर विकसित होने वाली प्रक्रिया है। उनका मानना था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) से देश में शिक्षा का स्तर सुधरेगा और भारतीय संस्कृति का संरक्षण होगा।

उपमुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों का योगदान:
उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने नालंदा विश्वविद्यालय के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि 2006 में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की गई थी। जिसे 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार बिहार के स्थानीय भाषाओं में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है।

ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार ने बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास भारतीयता को शिक्षा के क्षेत्र में लाने के लिए कार्य कर रहा है और इस ज्ञान कुंभ के आयोजनों के माध्यम से नालंदा जैसे ऐतिहासिक स्थल से ज्ञान की परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित हो रहे ज्ञान कुंभ के बाद प्रयागराज में महा ज्ञान कुंभ का आयोजन किया जाएगा।

कार्यक्रम में प्रमुख शिक्षाविदों की उपस्थिति:
इस आयोजन में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद, और शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में 13 राज्यों के प्रतिनिधि, शोधार्थी और विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस मौके पर उपस्थित प्रमुख लोगों में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी, जेपी विवि के कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार वाजपेयी, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय और नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार के अलावा अन्य कई प्रमुख शैक्षिक हस्तियाँ शामिल थीं। इस समारोह में भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रोत्साहित करने और उसे 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में सहायक बनाने के लिए एकजुटता का आह्वान किया गया।