पेपर लीक मास्टरमाइंड संजीव मुखिया के ठिकानों पर ईडी का शिकंजा, 11 जगहों पर एकसाथ छापेमारी
- Post By Admin on Jun 19 2025

नालंदा : नीट-यूजी पेपर लीक कांड और कांस्टेबल भर्ती घोटाले में संलिप्तता को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ी कार्यवाई करते हुए देशभर में एक साथ 11 ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्यवाई के केंद्र में हैं बिहार के नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड निवासी संजीव मुखिया, जिसे इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
ईडी की टीम ने नगरनौसा थाना क्षेत्र के गोसाईं मठ स्थित संजीव मुखिया के घर और उसके बेटे डॉ. शिव कुमार के ठिकानों पर तड़के छापेमारी की। छापेमारी के दौरान स्थानीय लोगों ने विरोध किया और अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान ईडी के एक अधिकारी का मोबाइल फोन छीनने की भी कोशिश की गई, हालांकि पुलिस हस्तक्षेप के बाद स्थिति नियंत्रित हो गई और फोन वापस दिला दिया गया।
देशभर में फैला जाल, दिल्ली ईडी टीम की अगुवाई में कार्यवाई
इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय से किया जा रहा है। पटना, नालंदा, रांची, लखनऊ और कोलकाता सहित 11 शहरों में एकसाथ छापेमारी की गई है। ईडी की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि संजीव मुखिया न केवल नीट पेपर लीक का सूत्रधार है, बल्कि बिहार कांस्टेबल भर्ती घोटाले में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
डॉ. शिव कुमार जेल से बाहर, मां के चुनाव प्रचार में सक्रिय
इस मामले में संजीव मुखिया का बेटा डॉ. शिव कुमार हाल ही में जेल से रिहा हुआ है और अब अपनी मां ममता देवी के साथ चुनावी गतिविधियों में जुटा है। ममता देवी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में हरनौत सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वर्ष 2020 में वह लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन हार गई थीं।
तीसरे दर्जे की नौकरी, लेकिन करोड़ों की संपत्ति
संजीव मुखिया, जो मूल रूप से नालंदा के नूरसराय स्थित उद्यान महाविद्यालय में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत है, एक मामूली सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद करोड़ों की संपत्ति का मालिक है। ईडी की जांच में सामने आया है कि उसकी संपत्ति आय के ज्ञात स्रोत से 144% अधिक है। अब तक करीब 1.75 करोड़ की संपत्ति की जानकारी सामने आ चुकी है, जबकि अन्य संपत्तियों की जांच सीबीआई और ईडी कर रही है।
गांव में ‘लूटन मुखिया’ के नाम से कुख्यात
स्थानीय लोग संजीव मुखिया को 'लूटन मुखिया' के नाम से जानते हैं। बताया जाता है कि नीट पेपर लीक कांड में नाम सामने आने के बाद उसने अपने विभाग में बीमारी का बहाना बनाकर फरारी काट ली थी। अब ईडी द्वारा की जा रही कार्यवाई से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है।
बिहार से लेकर देशभर में फैले इस बड़े शिक्षा घोटाले में संजीव मुखिया और उसके गिरोह की भूमिका एक बार फिर जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई है। ईडी की छापेमारी से साफ है कि सरकारी नौकरी की आड़ में चल रहा यह संगठित अपराध नेटवर्क बहुत गहरा और प्रभावशाली है। अब देखना होगा कि इस कार्यवाई के बाद शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बहाल करने की दिशा में कौन-कौन से बड़े खुलासे सामने आते हैं।