पापी पेट की मजबूरी, तपती धूप में जीवनयापन के लिए संघर्ष करती बुजुर्ग महिला
- Post By Admin on Jun 22 2024

मुजफ्फरपुर : जिला समाहरणालय से कुछ सौ मीटर की दूरी पर, एक बुजुर्ग महिला अपने पेट की आग बुझाने के लिए तपती धूप में संघर्षरत दिखी। भीषण गर्मी के बीच, जहां अधिकांश लोग घरों में ठंडी छांव की तलाश करते हैं, वहीं यह महिला जिंदगी की कठोर सच्चाई से जूझती हुई अपने जीवनयापन के लिए मजबूर है।
उसकी झुर्रियों भरी चेहरा और कांपते हाथ, पेट की मजबूरी को साफ बयां करते हैं। हर रोज, इस महिला को अपनी छोटी सी चटाई पर बैठकर तपती सड़क के किनारे मेहनत करनी पड़ती है। छोटे-मोटे सामानों की बिक्री करते हुए आए दिन यह महिला अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करती दिखती हैं।
कड़ी धूप में पसीने से तर-ब-तर यह महिला अपने दो पैसों के लिए एक अनवरत संघर्ष करती है। उसके पास न कोई स्थायी रोजगार है, न ही कोई सामाजिक सुरक्षा का सहारा। वह कहती है, पेट की आग इतनी बड़ी होती है कि यह किसी भी आराम या सुविधा को महत्वहीन बना देती है। दो पैसे कमाने के लिए इस धूप में काम करना पड़ता है तभी तो पेट भर सकता है।
इस स्थिति में जहां सरकार और समाज की सहायता की अपेक्षा होती है, वहाँ वह खुद को पूरी तरह अकेला महसूस करती है। इस बुजुर्ग महिला का संघर्ष न केवल उसकी अपनी कहानी है, बल्कि यह समाज के उन तमाम लोगों की भी कहानी है जो बिना किसी समर्थन के, अपनी जरूरतों के लिए अकेले ही लड़ते हैं।
मुजफ्फरपुर जैसे शहर में, जहां एक तरफ आधुनिकता की चमक दिखाई देती है, वहीं दूसरी तरफ इस महिला जैसी कई जिंदगीयां हैं जो रोज़ अपनी आवश्यकता के लिए लड़ रही हैं। इन दृश्यों को देखकर यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि क्या हम वाकई में अपने समाज के सभी सदस्यों की परवाह कर पा रहे हैं? इस महिला की कहानी एक जागरूकता का आह्वान करती है, ताकि हम अपने समाज के हर कमजोर हिस्से की चिंता कर सकें।