पुनौरा धाम में मां जानकी मंदिर का भूमि पूजन, अमित शाह-नीतीश कुमार ने रखी भव्य मंदिर की आधारशिला

  • Post By Admin on Aug 08 2025
पुनौरा धाम में मां जानकी मंदिर का भूमि पूजन, अमित शाह-नीतीश कुमार ने रखी भव्य मंदिर की आधारशिला

सीतामढ़ी : बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम में माता सीता को समर्पित भव्य जानकी मंदिर के निर्माण को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के बीच भूमि पूजन किया और आधारशिला रखी। इस मौके पर उन्होंने पुनौरा धाम में पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लिया।  

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की तर्ज पर इस मंदिर परिसर का निर्माण 67 एकड़ भूमि में किया जा रहा है, जिसकी कुल लागत 882.87 करोड़ रुपए है। मंदिर की ऊंचाई 151 फीट होगी और इसके 2028 तक तैयार होने की उम्मीद है। बताया गया कि इस भूमि पूजन के लिए देश के 21 तीर्थस्थलों की मिट्टी और 31 नदियों का जल मंगवाया गया। तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर 50 हजार लड्डू पैकेट तैयार किए गए हैं। 

शिलान्यास समारोह में बिहार सरकार के मंत्री, केंद्रीय मंत्री, साधु-संत, और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस आयोजन के दौरान वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक रहा। राज्य सरकार और पर्यटन विभाग इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने में युद्धस्तर पर जुटे हैं। 

उल्लेखनीय है कि पुनौरा धाम को माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। यह मंदिर भविष्य में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनने जा रहा है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए अत्याधुनिक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुनौरा धाम के पूर्ण रूप से तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होने से बिहार में धार्मिक पर्यटन को गति मिलेगी और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। अयोध्या के राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुरूप सीतामढ़ी में मां सीता की जन्मस्थली, पुनौरा धाम के समग्र विकास की योजनाएं 2028 तक पूरी होने की उम्मीद है। 

सीता मंदिर और उसके आसपास लगभग 67 एकड़ भूमि में यह तीर्थ क्षेत्र विकसित हो रहा है। रामायण सर्किट के साथ ही केंद्र सरकार 'हिंदू सर्किट' योजना के तहत बाबा अजगैबीनाथ, सिंहेश्वर, उग्रतारा, चंडीस्थान, त्रिवेणी, मतिहानी, सुलेश्वर इत्यादि 14 प्रमुख मंदिरों को भी धार्मिक पर्यटन के विकास में शामिल कर रही है। इसके अलावा बोधगया, देवघर, गया, वैशाली जैसे बौद्ध और जैन स्थलों का भी विकास किया जा रहा है। इन सभी तीर्थों, मठ-मंदिरों और धार्मिक स्थलों के विकास से होटल, रेस्त्रां, ट्रांसपोर्ट, गाइडिंग, हस्तशिल्प, स्थानीय बाजार, और अन्य छोटी-बड़ी सेवाओं में रोजगार के हजारों नए मौके बनेंगे। हजारों स्थानीय युवाओं, महिलाओं और छोटे कारोबारियों के लिए यह जीवन में नया अवसर होगा।