रेफरी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन, पारंपरिक खेल लागोरी को बढ़ावा देने का संकल्प
- Post By Admin on May 10 2025

लखीसराय : स्थानीय विवेकानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय, सलोना चक रोड में शनिवार को जिला लगोरी संघ लखीसराय द्वारा एक अहम रेफरी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मणिकांत सिंह, प्रधानाध्यापक, विवेकानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय ने की। उद्घाटन का काम राजीव रंजन, प्रधानाचार्य, पॉलिटेक्निक कॉलेज लखीसराय ने किया, जबकि मुख्य अतिथि डॉ. अमित कुमार, चिकित्सक, राधे हॉस्पिटल लखीसराय और विशिष्ट अतिथि के रूप में कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत और मुख्य वक्तव्य
सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। उद्घाटनकर्ता राजीव रंजन ने अपने संबोधन में कहा, "मेरे विद्यालय में पारंपरिक खेलों का आयोजन होता है और मैं खुद लागोरी खेल का संचालन करता हूं, इसलिए आज इस आयोजन का हिस्सा बनकर बहुत खुशी हो रही है। भविष्य में इस खेल को हम अपने परिसर में भी आयोजित करेंगे।"
पारंपरिक खेल के महत्व पर जोर
मुख्य अतिथि डॉ. अमित कुमार ने इस खेल को अत्यंत उपयोगी बताया और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने खेल को बढ़ावा देने की दिशा में हर संभव मदद देने का वचन भी दिया। प्रोफेसर मनोरंजन कुमार ने लागोरी खेल की विस्तृत जानकारी दी और इसके इतिहास और महत्व को समझाया।
राज्य स्तर पर उपलब्धि और विस्तार
राज्य सचिव रणधीर कुमार ने बताया कि यह खेल 18 देशों और भारत के लगभग 25 राज्यों में खेला जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल बिहार ने इस खेल में दूसरा स्थान प्राप्त किया था।
स्वास्थ्य लाभ और योग से संबंध
अरविंद कुमार भारती, उपाध्यक्ष, जिला माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस खेल के स्वास्थ्य लाभों पर बात की। उन्होंने बताया कि लागोरी खेल को योग से जोड़ा जा सकता है, और यह कई प्रकार की बीमारियों का इलाज करने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, यह पारंपरिक खेल किसी भी लागत के बिना हर सरकारी विद्यालय में खेला जा सकता है।
आयोजन की सफलता और आभार
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मणिकांत सिंह ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और आयोजकों को इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन लगोरी संघ के संरक्षक अरविंद कुमार भारती ने किया।
यह प्रशिक्षण शिविर ना केवल लखीसराय में बल्कि पूरे राज्य में पारंपरिक खेलों के प्रति जागरूकता और उत्साह का संकेत है, जो आने वाले समय में बच्चों और युवाओं को फिटनेस और खेल के प्रति प्रेरित करेगा।