प्रशांत किशोर का वन नेशन वन इलेक्शन पर बीजेपी पर हमला

  • Post By Admin on Nov 01 2024
प्रशांत किशोर का वन नेशन वन इलेक्शन पर बीजेपी पर हमला

गया : गया के बेलागंज के निमचक में गुरुवार को जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर बीजेपी और पीएम मोदी पर जुबानी हमला बोला है। उन्होंने 'वन नेशन वन इलेक्शन' की आड़ में बीजेपी की नीयत पर सवाल उठाया है। पीके ने कहा कि ये अपने लाभ के लिए पूरे देश में एक चुनाव फॉर्मूला को लागू करना चाहते हैं। जब यह हारते हैं तो वन इलेक्शन की बात खत्म हो जाती है।

वन नेशन वन इलेक्शन पर प्रशांत किशोर ने क्या कहा

वन नेशन वन इलेक्शन सही नीयत से किया जाए तो इसमें कोई गलत नहीं है। देश में आजादी के बाद वन नेशन वन पोल 1965 तक था, लेकिन अभी इस नीयत से किया जा रहा है कि हमारी बीजेपी की हवा बह रही है. अगर उनकी हवा नहीं है तो चुनाव को अलग-अलग कर दिया जाएगा। एक तरफ 'वन नेशन वन इलेक्शन' की बात कर रहे है और दूसरी तरफ छोटे से राज्य झारखंड में 4 भाग में बांट कर चुनाव करा रहे हैं, ताकि प्रचार करने के लिए उनको समय मिले। दोनों बात साथ–साथ नहीं चल सकती है। इसलिए यह दिखाता है कि सिर्फ इस बात के लिए इसको तैयार किया जा रहा है कि अगर उनको लगे बीजेपी की हवा बन गई है तो एक ही बार में पूरे देश में चुनाव करा दें। यह गलत नीयत से किया जा रहा है. कांसेप्ट अच्छा है।

प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि जब कोई कानून बनता है तो उसके पीछे की मंशा होती है, अगर वो मंशा किसी को नुकसान पहुंचाने की है तो वह सही नहीं हो सकती है। हमको लगता है कि वन नेशन वन इलेक्शन अपने लाभ के लिए बीजेपी कराना चाहती है। लोकसभा में कम सीटें मिली तो यह ठंडे बस्ते में चला गया। जैसे ही हरियाणा जीता तो वन नेशन वन इलेक्शन की बात बीजेपी वालों ने शुरू कर दी।

बेलागंज के मुस्लमानों को दुविधा से बाहर आने का दिया संदेश

वहीं बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब 2014 में नीतीश कुमार ने मोदी का विरोध करते हुए बीजेपी का साथ छोड़ दिया था। तब मुस्लिम समुदाय ने नीतीश कुमार को अपना नेता नहीं बनाया था। आपने उस वक्त आरजेडी पर भरोसा किया था, जबकि पिछले 35 वर्षों में आप और आपके बच्चे सिर्फ लालटेन में केरोसिन तेल की तरह जल रहे हैं और रौशनी कहीं और है।

उसी तरह आज आप दुविधा में हैं कि प्रशांत किशोर पर भरोसा कैसे करें लेकिन मैं आपको बता दूं कि यही प्रशांत किशोर बंगाल में ममता दीदी के साथ बीजेपी के खिलाफ लड़े थे, तब तेजस्वी, राहुल या अखिलेश जो खुद को आपके रहनुमा कहते हैं। ममता दीदी का कंधा मजबूत करने नहीं आए. बंगाल चुनाव का जब नतीजा आया तो उसी दिन से देश में सीएए और एनआरसी पर चर्चा खत्म हो गई।