बांसुरी के मधुर सुरों से शहर को सजाते रेयाज

  • Post By Admin on Jun 27 2024
बांसुरी के मधुर सुरों से शहर को सजाते रेयाज

मुजफ्फरपुर : शहर की मशहूर सड़क पर मोतीझील में बासुरी की धुन यदि कानों में चली जाए तो समझ जाइए आपके अगल बगल में ही है रेयाज जी, जिनका नाम लेते ही बांसुरी की मधुर धुनें और सुरों की लहरियां मन में गूंजने लगती हैं। मोतीझील (श्याम सिनेमा) से लेकर कल्याणी चौक तक, शहर के विभिन्न नुक्कड़ों पर अक्सर रेयाज जी को बांसुरी बजाते देखा जा सकता है। बिना किसी मंच या तामझाम के, ये कलाकार अपने सरल और सहज स्वभाव से शहरवासियों के दिलों को सुरमयी कर देते हैं। खासकर बासुरी प्रेमियों के दिलों में बसते हैं । 

रेयाज जी का प्रमुख आकर्षण हिन्दी फिल्मों के पुराने हिट गीतों को बांसुरी पर बजाने का है। उनके पास सभी तरह की बांसुरियां उपलब्ध हैं, और उनकी मधुर धुनों को सुनकर संगीत प्रेमी उनसे बातचीत करते हैं और कई बार उनकी बांसुरियों को खरीद लेते हैं। रेयाज जी का निवास ब्रह्मपुरा एम आई टी के पास है और वे बांसुरी बजाने के साथ-साथ खुद बांसुरी भी बनाते और बेचते हैं। उनके पास विभिन्न स्केल की बांसुरियां उपलब्ध रहती हैं।

रेयाज जी की प्रतिभा न केवल मुजफ्फरपुर तक सीमित है, बल्कि वे अन्य शहरों और राज्यों में भी जाकर अपने बांसुरी के सुरों से लोगों का मन मोह लेते हैं। उनकी इस कला को देखते हुए सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान की निदेशक सुनील सरला ने सरकार से मांग की है कि ऐसे कलाकारों के लिए एक उचित कला नीति बनाई जाए, जिससे उन्हें सही मंच, सम्मान, और पहचान मिल सके।

सुनील सरला का कहना है कि रेयाज जी जैसे कलाकारों को प्रोत्साहित करने और उनकी कला को आगे बढ़ाने के लिए समाजिक संगठनों और सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। उनके अनुसार, कला के प्रति सरकार की सकारात्मक नीति न केवल कलाकारों को सम्मान देगी, बल्कि उनके जैसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों को समाज में एक मजबूत पहचान भी दिलाएगी।

रेयाज जी के बांसुरी के सुरों से सजा मुजफ्फरपुर शहर उनकी प्रतिभा का साक्षी है, और उनके माध्यम से शहरवासी भारतीय शास्त्रीय संगीत की धरोहर को जीवंत रूप में अनुभव कर सकते हैं।