बिहार की राजनीति में प्रशासनिक अधिकारियों का बढ़ता रुझान, बदलते समीकरण और संभावनाएं
- Post By Admin on Sep 20 2024

बिहार : बिहार की राजनीति ने हमेशा से देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल के दिनों में राज्य की राजनीति में एक नया रुख देखने को मिल रहा है, जहां कई प्रशासनिक अधिकारी राजनीति की ओर अपना रुझान दिखा रहे हैं। इस बदलते परिदृश्य ने न केवल बिहार की राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि कई उच्च स्तर के अधिकारी, विशेष रूप से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी, राजनीति की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं। इन अधिकारियों का राजनीति में प्रवेश राज्य की राजनीति को नई दिशा देने के साथ-साथ एक मजबूत प्रशासनिक दृष्टिकोण प्रदान करेगा या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बता सकेगा लेकिन अधिकारियों का राजनीति की ओर बढ़ रहा रुझान चर्चा का विषय है ।
हाल ही में, बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे का इस्तीफा इसी दिशा की ओर इशारा करता है। पूर्णिया के आईजी के पद पर कार्यरत लांडे ने पुलिस सेवा से इस्तीफा देकर फिर राजनीति की ओर का चर्चा गर्म कर दिया है । उनके इस्तीफे ने न केवल बिहार के प्रशासनिक हलकों में चर्चा पैदा की, बल्कि उनके संभावित राजनीतिक भविष्य को लेकर भी कई अटकलें लगाई जा रही हैं।
राजनीति में अधिकारियों का आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन बिहार में यह प्रवृत्ति हाल के दिनों में अधिक तेज़ हो गई है। यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासनिक अनुभव से लैस ये अधिकारी सफल राजनेता बन सकते हैं? प्रशासनिक सेवा में कई वर्षों के अनुभव और जनसेवा की समझ के साथ ये अधिकारी राजनीति में प्रवेश करते हैं। उन्हें जनता की समस्याओं को समझने, नीतियां बनाने और उनका क्रियान्वयन करने का अनुभव होता है। यही अनुभव उन्हें राजनीति में एक महत्वपूर्ण बढ़त प्रदान कर सकता है।
हालांकि, राजनीति में सफल होने के लिए केवल प्रशासनिक अनुभव ही पर्याप्त नहीं है। इसमें जनता से संवाद स्थापित करने, उनके मुद्दों को समझने और उनके हितों की रक्षा करने की कला की आवश्यकता होती है। राजनीतिक दांव-पेंच, गठबंधन और रणनीतियों का सही तरीके से इस्तेमाल करना भी आवश्यक होता है।
बिहार में राजनीति की दिशा बदलने में प्रशांत किशोर का आने वाले समय में बड़ा योगदान हो सकता है । जन सुराज के नाम से उन्होंने अपनी एक नई राजनीतिक मुहिम शुरू की है, जिसमें कई अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं। प्रशांत किशोर का उद्देश्य बिहार में राजनीतिक बदलाव लाना और युवाओं व अधिकारियों को राजनीति में शामिल कर एक नए राजनीतिक परिदृश्य का निर्माण करना है।
शिवदीप लांडे का इस्तीफा और उनके जन सुराज से जुड़ने की अटकलें इसी ओर इशारा करती हैं कि बिहार में राजनीति और प्रशासन के बीच एक नया समीकरण बन रहा है। लांडे के इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि वे प्रशांत किशोर की इस पहल का हिस्सा बन सकते हैं और अपनी प्रशासनिक सेवा का अनुभव राजनीति में उपयोग कर सकते हैं।
बिहार की राजनीति में अधिकारियों की बढ़ती भागीदारी यह दर्शाती है कि अब राजनीति और प्रशासन के बीच की दूरी कम हो रही है। जनता भी अब ऐसे नेताओं की तलाश में है, जिनके पास प्रशासनिक अनुभव हो, ताकि वे जनहित के फैसले तेजी से ले सकें।
(लेखक के निजी विचार)