अंधविश्वास: डायन बता विधवा को निर्वस्त्र कर पीटा, शरीर पर ब्लेड से किए जख्म

  • Post By Admin on Jul 21 2025
अंधविश्वास: डायन बता विधवा को निर्वस्त्र कर पीटा, शरीर पर ब्लेड से किए जख्म

हजारीबाग : झारखंड के हजारीबाग जिले से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने एक बार फिर समाज में फैली अंधविश्वास की काली सच्चाई को उजागर कर दिया है। हजारीबाग के बरही थाना क्षेत्र के जरहिया गांव में एक विधवा महिला को डायन बताकर बेरहमी से पीटा गया, निर्वस्त्र किया गया, उसके शरीर पर ब्लेड से वार कर खून बहाया गया और फिर तांत्रिक अनुष्ठान किया गया। इतना ही नहीं, उसे जबरन बिहार के गया जिले के प्रेतशिला ले जाकर सिर भी मुंडवा दिया गया।

डायन प्रथा की आड़ में दरिंदगी
पीड़िता के अनुसार, शुक्रवार शाम गांव के सात लोग उसके घर में घुस आए। डायन होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने पहले उसके कपड़े फाड़े, फिर उसे घसीटकर बाहर लाया गया और बेरहमी से पीटा गया। शरीर के कई हिस्सों को ब्लेड से काटा गया और खून से कथित तांत्रिक क्रियाएं की गईं। महिला को उसके बेटे समेत डायन मुक्ति के नाम पर 30 हजार रुपए भी देने पड़े।

इसके बाद उसे जबरन बिहार के गया जिले ले जाया गया, जहां प्रेतशिला स्थल पर उसका सिर मुंडवाया गया और फिर से मारपीट की गई। शनिवार रात करीब 10 बजे आरोपी महिला को बरही बाजार में छोड़कर फरार हो गए। किसी तरह वह घर पहुंची और अगले दिन साहस जुटाकर थाने पहुंची।

पुलिस सक्रिय, आरोपियों की तलाश जारी
बरही थाना प्रभारी ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है। सातों आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने के लिए विभिन्न जगहों पर छापेमारी की जा रही है। पुलिस ने साफ किया है कि इस अमानवीय कृत्य में शामिल किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।

सवालों के घेरे में समाज और प्रशासन
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक चेतना पर भी सवाल खड़े करती है। राज्य में डायन प्रथा के खिलाफ कानून होने के बावजूद ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आना चिंता का विषय है।

मानवाधिकार संगठनों और महिला आयोग ने मामले पर संज्ञान लेने की मांग की है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में लंबे समय से अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले कथित तांत्रिकों की गतिविधियां जारी हैं, जिन्हें अब तक खुली छूट मिली हुई है।

ज़रूरत है जागरूकता और सख्ती की
यह घटना इस बात की ताज़ा याद दिलाती है कि आज भी देश के कई हिस्सों में महिलाएं अंधविश्वास और रूढ़ियों की भेंट चढ़ रही हैं। अब समय आ गया है कि ऐसी कुप्रथाओं के खिलाफ न केवल सख्त कार्यवाही की जाए, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए।