कवि गोष्ठी में समाज और राष्ट्र पर केंद्रित कविताओं से कवियों ने बांधा समां

  • Post By Admin on Jul 20 2025
कवि गोष्ठी में समाज और राष्ट्र पर केंद्रित कविताओं से कवियों ने बांधा समां

लखीसराय : स्थानीय प्रभात चौक स्थित एक निजी होटल के सभागार में रविवार को जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन, लखीसराय के तत्वावधान में एक भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सरोकारों से ओतप्रोत इस काव्य संध्या में जिले के कोने-कोने से आए कवियों ने अपनी विविध रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्मेलन के उपाध्यक्ष रामबालक सिंह ने की, जबकि संचालन जिला संगठन मंत्री अरविंद कुमार भारती ने किया।

सावन, सुशासन और समरसता पर केंद्रित रहीं रचनाएं
गोष्ठी की शुरुआत अंकित सिंह वत्स की रचना “घिर कारी बदरी सांबरी, सावन प्रीत रंग भरी” से हुई, जिसमें उन्होंने सावन के रंगों और प्रेम की मिठास को बखूबी उतारा।

गुलशन कुमार ने युवा प्रेम पर कटाक्ष करते हुए समाज के बदलते सरोकारों को दर्शाया, वहीं जीवन पासवान की रचना “वक्फ बोर्ड के आड़ में मुस्लिम शोषण अपराध है” ने एक गंभीर सामाजिक विषय पर बहस छेड़ दी।

सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह की “सुशासन में आ गया जोश, शैतानों के उड़ गए होश” कविता ने शासन व्यवस्था पर व्यंग्य किया, जबकि अरविंद कुमार भारती की “अपन ह्रदय के साफ करो, छोटका के गलती माफ करो” ने सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

भावनाओं और गांव की खुशबू से सजी प्रस्तुतियां
राजेश्वरी प्रसाद सिंह की मार्मिक पंक्तियां “हमने जब भी बेपनाहों से दोस्ती की है, जलके खुद उसके घर की रोशनी की है” ने आत्मबलिदान की गहराई को छू लिया।

वहीं शिवदानी सिंह बच्चन ने लोकभाषा में ग्रामीण जीवन का जीवंत चित्रण करते हुए रचना “अहो भोला तों हमरा घर बनबा दा, मुखिया से कह के नाम जोड़वा दा” से खूब तालियां बटोरीं।

कार्यक्रम अध्यक्ष रामबालक सिंह ने “अभी न गुरु हैं न वो शिष्य लिखते हैं, यही कारण है कि सब ओर भ्रष्टाचार बढ़ते हैं” के जरिए नैतिक और शैक्षणिक पतन पर चिंता जताई।

भोला पंडित की “बदरा बरसल हरषल किसान” रचना ने कृषक जीवन की वेदना को अभिव्यक्त किया।

राज कुमार ने युवाओं को जागरूक करते हुए कहा – “युवाओं को मतदान करना होगा, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा”।

रचनाओं का होगा प्रकाशन
गोष्ठी के अंत में नवलकंड पत्रिका के प्रधान संपादक अरविंद कुमार भारती और संपादक राजेश्वरी प्रसाद सिंह ने सभी कवियों की रचनाएं आमंत्रित करते हुए जल्द प्रकाशन का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में सोनू कुमार, संजीत कुमार, अविनाश कुमार, लक्ष्मी नारायण कृष्णा समेत कई साहित्यप्रेमियों का अहम योगदान रहा।