स्कंद षष्ठी: संतान सुख और मनोवांछित फल के लिए करें भगवान कार्तिकेय की आराधना
- Post By Admin on Oct 26 2025
नई दिल्ली : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि सोमवार को पड़ रही है। यह तिथि भगवान कार्तिकेय को समर्पित मानी जाती है और इसे स्कंद षष्ठी के रूप में देशभर में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा और व्रत करने से संतान सुख, विजय और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
द्रिक पंचांग के अनुसार सोमवार को सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा धनु राशि में रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय सुबह 7 बजकर 53 मिनट से 9 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध कर देवताओं को अत्याचार से मुक्त कराया था। इसी विजय की स्मृति में देवताओं ने स्कंद षष्ठी उत्सव मनाया। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। कहा जाता है कि जो महिलाएं संतान सुख की इच्छा रखती हैं, उन्हें इस दिन व्रत और पूजा अवश्य करनी चाहिए।
व्रत विधि के अनुसार, भक्त ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले भगवान गणेश और नवग्रहों की पूजा के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को वस्त्र, इत्र, चंपा के फूल, आभूषण, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
भगवान कार्तिकेय का प्रिय पुष्प चंपा माना जाता है, इसलिए इस दिन को चंपा षष्ठी या कांडा षष्ठी भी कहा जाता है। पूजा के अंत में भक्त “ऊं स्कंद शिवाय नमः” मंत्र का जाप करते हैं और भगवान की आरती के बाद तीन परिक्रमा करते हैं।
मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक किए गए इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है, संतान प्राप्ति की बाधाएं दूर होती हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।