महेंद्र मधुकर की पुस्तकों का भव्य लोकार्पण
- Post By Admin on Jul 20 2024

मुजफ्फरपुर: डॉ महेंद्र मधुकर की दो कृतियों 'नटखेला उर्फ बन्ना गोसाईं' और 'मोहि कहां विश्राम' का लोकार्पण समारोह धूमधाम से संपन्न हुआ। अध्यक्षीय उद्गार में डॉ. रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव ने मधुकर जी को अध्ययनशील मनस्वी लेखक बताते हुए कहा कि उनकी लेखनी साहित्य की विभिन्न विधाओं में निरंतरता और गरिमा को प्रकट करती है। उनकी कृतियाँ ज्ञान, चिंतन और सांस्कृतिक चेतना का सार्थक मानदंड हैं।
विषय प्रवेश कराते हुए डॉ. संजय पंकज ने कहा कि लोक और शास्त्र दोनों को आत्मसात करके मधुकर जी सतत साधना में लीन रहने वाले समर्थ रचनाकार हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं में लिखते हुए उन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध किया है। डॉ. पूनम सिन्हा ने मधुकर जी के भाषा शिल्प के कुशल प्रयोग की सराहना की।
स्वागत संबोधन में महेंद्र मधुकर ने कहा कि 'नटखेला उर्फ बन्ना गोसाईं' का नया संस्करण उसकी लोकप्रियता का प्रमाण है और 'मोहि कहां विश्राम' ऊर्जा से भरे ललित निबंधों का प्राणवान संकलन है। उन्होंने कहा कि उनके उपन्यास मानव जीवन की विविधताओं के साक्षी हैं और वे जो पढ़ते और देखते हैं, उसे अपनी अनुभूतियों में रचते हैं।
डॉ. रामेश्वर द्विवेदी ने मधुकर जी को भाषा के मर्मज्ञ और साहित्य के गौरव व्यक्तित्व के रूप में वर्णित किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. सोनी सुमन की सरस्वती वंदना से हुआ। कवि गोष्ठी के दूसरे सत्र में डॉ. रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव ने "मैं इन बीजों के साथ मुट्ठी भर मिट्टी भी ले आता" के माध्यम से वर्तमान दौर के मूल्य विघटन को रेखांकित किया। अध्यक्ष डॉ. शारदाचरण ने "चलो चंदन वन तुम्हें फिर से घुमा लाएं" गीत सुनाकर सबको सौंदर्य की मिठास की ओर ले गए। डॉ. वंदना विजयलक्ष्मी ने शिवदास पांडेय का गीत "जनम जनम से भले अधूरा यह गीत मेरा" सुनाकर वातावरण को नम कर दिया। संजय पंकज के गीत "सूरज डूबा डूब गया है, लिए उजाला अब भर चलो, कहीं और चलो" ने समय की भयावता और विसंगतियों को रेखांकित करते हुए सबको झकझोर दिया।
कार्यक्रम में डॉ. पुष्पा प्रसाद, डॉ. भावना, सविता राज, हेमा सिंह, शिवगुतुल्लाह हमीदी, अनीता सिंह, केके चौधरी, लोकनाथ मिश्र, उदय नारायण सिंह, जलाल असगर फरीदी, विनोद कुमार सिन्हा, चांदनी समर, वीरमणि राय, सतीश झा, कुमार विभूति, रामेश्वर द्विवेदी, अविनाश तिरंगा, गणेश प्रसाद सिंह, मिलन दास, मौली दास आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।
विशेष आग्रह पर डॉ. महेंद्र मधुकर ने अपने कई गीतों को सस्वर प्रस्तुत किया, जिससे सभी उपस्थित लोग अभिभूत हो गए। संचालन संजय पंकज ने और धन्यवाद ज्ञापन गणेश प्रसाद सिंह ने किया।