बिहार के लाल का कमाल, सेब का कर दिया उत्पादन, अग्नि परीक्षा के दौर में है सेब की खेती

  • Post By Admin on Apr 21 2023
बिहार के लाल का कमाल, सेब का कर दिया उत्पादन, अग्नि परीक्षा के दौर में है सेब की खेती

बेगूसराय: सेब की खेती अब तक सिर्फ ठंडे प्रदेशों में होती रही है। लेकिन अब सेब सिर्फ ठंडे प्रदेश में भी नहीं होगा, बल्कि देश के किसी भी हिस्से में हो सकता है। बिहार में भी सात जिलों में हरमन-99 किस्म के सेब की खेती हो रही है। जब पेड़ पर फल लद गए हैं तो किसानों में नई आशा का संचार हुआ है।

विशेष उद्यानिकी फसल योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में बिहार के साथ जिलों में सेब की खेती का लक्ष्य 50 एकड़ में कराया गया। जिसमें बेगूसराय के अलावा मुजफ्फरपुर, भागलपुर, औरंगाबाद, वैशाली, कटिहार और समस्तीपुर जिला शामिल है। जिसमें से बेगूसराय, भागलपुर और वैशाली में पांच-पांच एकड़ में सेब की खेती हो रही है। मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, कटिहार एवं समस्तीपुर में ढ़ाई-ढ़ाई एकड़ में सेब की खेती हो रही है। सरकार के इस प्रयास से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर में रहने वाला आकांक्षी जिला बेगूसराय सिर्फ उद्योग ही नहीं, बल्कि एग्रो टूरिज्म में भी बिहार का हब बनने जा रहा है। बेगूसराय में एक ओर उद्योगों का जाल बिछा रहा है तो दूसरी ओर यहां के प्रगतिशील किसानों ने जिद की खेती कर पूरे बिहार के किसानों का ध्यान आकृष्ट कराया है।

बेगूसराय जिले में पांच एकड़ में सेब की खेती हो रही है। जिसमें छौड़ाही प्रखंड के एकंबा, छौड़ाही एवं बरदाहा में ढ़ाई एकड़ तथा नावकोठी प्रखंड के वृंदावन में एक एकड़ में खेती की गई है। छौड़ाही प्रखंड स्थित एकंबा पंचायत के किसान और किसान सलाहकार अनीश कुमार ने पिछले वर्ष फरवरी माह में एक एकड़ में सेब के 250 पौधे लगाए थे। साल भर के उतार-चढ़ाव के बाद इनके काफी पौधे रोग ग्रस्त भी हुए, इसके बावजूद भी अनुसंधान जारी रखा। अनीश का कहना है कि आज जब पेड़ पर फल लग गए हैं तो खुशी हो रही है। सेब की खेती में कीड़े-मकोड़े के साथ फंगस के आक्रमण का भी काफी सामना करना पड़ा, जिसका निदान समय-समय पर करते रहे। प्रथम वर्ष ही इनके कुछ पौधों में फल आए, जिसे देखकर काफी प्रसन्न हैं और अपने अनुसंधान कार्य को जारी रखें हैं। सेब की खेती व्यवसायिक तौर पर किया जाए या नहीं, इसके लिए इन्होंने एक वर्ष और इंतजार करने का फैसला किया है। वैज्ञानिकों द्वारा कई क्षेत्रों में उपजाए जाने वाले सेब के बीज को क्रॉस कर हरमन-99 तैयार किया गया है। यह गर्म क्षेत्र के लिए तैयार किया गया है तथा 48 डिग्री के तापमान तक फलन हो सकता है। वर्तमान समय में बेगूसराय में 43-44 डिग्री तापमान चल रहा है। जिसमें कि यह सेब के पौधे अग्नि परीक्षा के दौर से गुजर रहे हैं। अब देखना है कि और यह कितना गर्मी बर्दाश्त कर सकता है। फिलहाल अनीश मानना है कि किसान अपने बाग-बगीचे में दो-चार पौधे लगाकर ट्रायल अवश्य करें।

बेगूसराय जिले में सेब की खेती को बढ़ावा देने का श्रेय सहायक जिला उद्यान पदाधिकारी राजीव रंजन को जाता है। अनीश ने बताया कि सेब लगाकर ट्रायल के तौर पर काम कर रहे हैं। अगला साल बेहतर हो गया तो इसकी जानकारी और लोगों को देंगे। इनके पौधे पर जंगली जानवरों का भी प्रकोप होता है, इसके लिए तार से घेराबंदी की गई है। सेब के साथ नए प्रभेद के कटहल, नींबू और बेहतरीन किस्म के आम पौधे लगाए गए हैं। किसान खेत पर आकर सेब की खेती और उसके संबंध में जानकारी लेकर घर लौटे हैं। उन्होंने बताया कि प्लांट इंसाइकोपीडिया बना रहे हैं, जिससे कोई भी लोग बागवानी के संबंध में जानकारी ले सकें। संभव है कि 2024-25 से बेगूसराय और आसपास के बाजारों में अपने यहां का सेब उपलब्ध हो। जैसे उद्योग के कारण अभी बेगूसराय पर पूरे देश की नजर रहती है। वैसे ही एग्रो टूरिज्म हब के डेवलप होने पर दूर-दूर के लोग बेगूसराय आकर स्थानीय तकनीक को देखेंगे, जानेंगे और किसान समृद्ध होंगे। हमारे यहां के लोग दूसरे देश-परदेश में सीखने के लिए जाते हैं, वही चीज जब यहां होगी तो विकास में आमूलचूल तेजी आएगी।