नाट्योत्सव में नागरदोला का प्रभावशाली मंचन, प्रेम और समाज पर छोड़ा अमिट छाप
- Post By Admin on Dec 13 2025
पटना : प्रवीण सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 के तहत उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज में नाटक ‘नागरदोला’ का भव्य और प्रभावशाली मंचन हुआ। बिजेन्द्र कुमार टांक के निर्देशन में यह नाटक प्रेम की अमर शक्ति और समाज की विसंगतियों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।
नाटक की कथा दुर्गापुर के दंगल से शुरू होती है, जहाँ चूहड़ की जीत का जश्न मनाया जा रहा है। चूहड़ केवल एक पहलवान नहीं बल्कि उस प्रेम का प्रतीक है जो समय, हिंसा, जाति और सामाजिक कठोरताओं से प्रभावित नहीं होता। मंच पर गूंजते संवाद “प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाय…” दर्शकों को सीधे उस भावलोक में ले जाते हैं जहाँ प्रेम स्वतंत्र और अटूट है।
‘नागरदोला’ रेशमा और चूहड़मल की कथा के माध्यम से यह सवाल उठाता है कि क्या समय, हिंसा, जाति और समाज की कठोर व्यवस्था किसी प्रेम कथा को समाप्त कर सकती है। नाटक का उत्तर स्पष्ट है—नहीं। इस कहानी में प्रेम न केवल जीवित है बल्कि यह युगों से समाज के दिलों में धड़कता रहा है। नाटक में दूसरा चूहड़ उस प्रेम का पुनर्जन्म है, जो संघर्षों के बीच भी अडिग, अजेय और अमर है। नाटक केवल प्रेम की कथा नहीं बल्कि समाज की उस मानसिकता पर चोट है जो प्रेम को नियंत्रित करना चाहती है। मंचन ने कलात्मक ढंग से यह दिखाया कि प्रेम न मिट्टी में दबता है, न आग में जलता है और न ही किसी हथियार से मारा जा सकता है।
रेशमा की भूमिका में अपराजिता कुमारी ने अपने सशक्त भाव-अभिनय और मंचीय उपस्थिति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, वहीं चूहड़मल के पात्र में मो. जफ्फर आलम ने दमदार अभिनय और प्रभावशाली उपस्थिति से मंच पर गहरी छाप छोड़ी। सूत्रधार और अघोड़ी सिपाही के रूप में रोहित चंद्रा और अभिषेक आनंद, मरकहे पंडित के रूप में स्मर्श मिश्रा, कुट्टा बहाली में राहुल रंजन, बसंता में आदित्य कुमार, गूंगा में सोनू राज, ग्राहक में प्रिंस राज, बड़ी मां में शाईस्ता ख़ान, लुती में श्रीपर्णा चक्रबर्ती और लाहो में प्रतिमा भारती ने अपने किरदारों को जीवंत बनाकर नाटक की संवेदनाओं को और गहरा किया।
मंच परे टीम ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई। मंच निर्माण सुनील कुमार ने किया, प्रकाश विनय कुमार ने संयोजित किया, रूप सज्जा जितेंद्र कुमार ने संभाली, ध्वनि प्रभाव राजीव रॉय द्वारा साकार किया गया और संगीत संयोजन रोहित चंद्रा ने किया। सारंगी अनीश मिश्रा ने प्रस्तुत की और संजय उपाध्याय ने संगीत दिया। अभिकल्पक अभिषेक राज ड्रामेबाज़ और आलेख रवींद्र भारती ने भी मंचन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
‘नागरदोला’ ने दर्शकों के दिलों में प्रेम की अमरता और मानवीय संवेदनाओं का संदेश छोड़ते हुए नाट्योत्सव की गरिमा को और ऊँचा किया। मंचन के दौरान दर्शक पात्रों, संवादों और प्रस्तुति की भरपूर सराहना करते रहे और इस नाटक ने प्रेम, संघर्ष और सामाजिक संदेश को एक ही छत के नीचे अनुभव करने का अवसर प्रदान किया।