कवि मोहन सरकार की जयंती पर काव्य और स्मृति का संगम, साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि

  • Post By Admin on Oct 15 2025
कवि मोहन सरकार की जयंती पर काव्य और स्मृति का संगम, साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि

मुजफ्फरपुर : हिंदी और बांग्ला के चर्चित कवि मोहन कुमार सरकार की जयंती के अवसर पर बुधवार को जिला स्थित हरिसभा विद्यालय के सभागार में एक भव्य संवाद और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में साहित्य, संगीत और संवेदना का सुंदर संगम देखने को मिला।

अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने कहा कि मोहन सरकार बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी रचनाओं में समय, परिवेश, संबंध और संस्कृति का गहरा चिंतन झलकता है। उन्होंने कहा कि “मोहन सरकार की कहानियों और कविताओं में विचार और संवेदना का अद्भुत संतुलन है, जो पाठकों के मर्म को स्पर्श करता है।”

डॉ. पंकज ने आगे कहा कि ‘परवाज, ढाई आखर सुर, चांद का टुकड़ा, सुरसरी, मिला सुर मेरा तुम्हारा, देख तमाशा देख, मोनालिसा’ जैसी करीब दो दर्जन कृतियों के रचनाकार मोहन सरकार प्रशासनिक व्यस्तता के बावजूद सशक्त लेखन करते रहे। उनके यात्रा वृत्तांत उनके अनुभवों और भाषा के सामर्थ्य के प्रतीक हैं।

कार्यक्रम में कवि के छोटे भाई विकास कुमार सरकार ने बताया कि मोहन सरकार ने अपनी देह चिकित्सा महाविद्यालय को दान की थी और यह इच्छा व्यक्त की थी कि उनकी संचित राशि से हिंदी और बांग्ला के प्रतिभाशाली कवियों को पुरस्कृत किया जाए।

शुभाशीष बोस ने स्वागत संबोधन में कहा कि “मोहन सरकार ने अकेलेपन को भी उत्सव में बदला और हर शहर में सृजन का वातावरण रचा।” वहीं संस्कृतिकर्मी मनीषा दत्ता ने कहा कि उनका साहित्य हमारे लिए प्रेरणा और गर्व का स्रोत है।

दूसरे सत्र में काव्यपाठ का दौर शुरू हुआ। डॉ. विजय शंकर मिश्र ने अपने गीत ‘धीरे-धीरे बीत गया क्षण, क्षण को हम पहचान न पाए’ से वातावरण को भावपूर्ण बना दिया।
डॉ. पुष्पा प्रसाद ने अपने गीतों के साथ रवींद्र संगीत की मधुर प्रस्तुति दी।

देवव्रत अकेला की कविता ‘कुर्सी ही कुर्सी रह गई’ ने सत्ता की विडंबना पर तीखा व्यंग्य किया, जबकि प्रवीण कुमार मिश्र का गीत ‘देखो जीवन बीत रहा है...’ श्रोताओं के मन में गूंजता रहा।

काव्यपाठ करने वालों में डॉ. सरोज वर्मा, शिउली भट्टाचार्य, श्यामल श्रीवास्तव, डॉ. कुमारी अनु, डॉ. रजनी प्रभा, डॉ. यशवंत, मुस्कान केसरी और अंशु शामिल रहीं।

कार्यक्रम का संयोजन चित्रकार और संस्कृति कर्मी देवाशीष दास ने किया। उन्होंने कहा कि “हमारे पूर्वजों का स्मरण ही हमारी सांस्कृतिक पहचान का आधार है।” सोनाली सिन्हा ने रविंद्र संगीत की प्रस्तुति दी और नीला बोस ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और कवि के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। उपस्थित कवियों का अंगवस्त्र से सम्मान किया गया।

यह आयोजन कवि मोहन कुमार सरकार की स्मृति में साहित्य, संगीत और संवाद का एक जीवंत पर्व साबित हुआ, जिसने उनकी रचनात्मक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया।