श्रद्धा और समर्पण से पूर्वजों को अर्पित श्रद्धांजलि : पितृ तर्पण
- Post By Admin on Sep 18 2024

बिहार : 18 सितंबर बुधवार, भाद्रपद शुक्ल उदय पूर्णिमा को सभी सनातनीय अपने पूर्वजों के अक्षय तृप्ति हेतु तर्पण का आरंभ किये है। आज के दिन अगस्त मुनि को सर्वप्रथम अर्घ प्रदान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बिना उनके तृप्त हुए पितृतर्पण का फल प्राप्त नहीं होता है। इस दिन सुबह स्नान कर पवित्र जलाशय में श्री अगस्त्य मुनि का तर्पण किया जाता है। इसके लिए शंख में जल पुष्प और सफेद चंदन डालकर गंगा का आवाहन करते हैं फिर दीप या धूप बत्ती जलाकर अग्नि का पूजन करते है। पं. जय किशोर मिश्र ने बताया कि अगस्त जी अध्यात्म विज्ञान के बड़े ही अनुसंधानक थे। उन्होंने जनकल्यान हेतु समुद्र का पान किया था। समुद्रपान के साथ ही उन्होंने आतापीच-बातापीच नमक दो महाअसुरो का भक्षक भी किया था। उन्हे खर का फूल (भुआ), खीरा एवं मक्के की बाल अतिप्रिय है। उन्होंने ही आदित्य हृदय का अनुसंधान किया था। आज उनके याद में सर्वप्रथम तर्पण प्रदान किया जाता है।