बिहार में बदलाव की बयार : माले की बदलो सरकार, बदलो बिहार यात्रा ने तेज की सियासी गर्मी

  • Post By Admin on Jun 25 2025
बिहार में बदलाव की बयार : माले की बदलो सरकार, बदलो बिहार यात्रा ने तेज की सियासी गर्मी

मुजफ्फरपुर : भाकपा (माले) ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार की सियासत में तेज़ हलचल पैदा कर दी है। ‘बदलो सरकार, बदलो बिहार’ यात्रा के तहत पार्टी महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर जिले के उफरौली (औराई) और बेनीबाद (गायघाट) में दो विधानसभा स्तरीय जनसभाओं को संबोधित किया और नीतीश सरकार को सीधे निशाने पर लिया।

जनसभाओं में दीपंकर ने कहा, "बीस सालों से माफियाओं और अपराधियों के गठजोड़ से बिहार की सत्ता चल रही है। अब वक्त आ गया है, जब इस सरकार को जनता की ताकत से उखाड़ फेंका जाए।"

उन्होंने कहा कि यदि INDIA गठबंधन सत्ता में आता है, तो महिलाओं का माइक्रोफाइनेंस कर्ज माफ होगा और हर महिला को ₹2500 मासिक सहयोग मिलेगा, जैसा झारखंड में हुआ है। नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, "सामाजिक सुरक्षा पेंशन ₹400 से ₹1100 करने में बीस साल लगा दिए और वो भी चुनाव नजदीक देख कर!"

आरएसएस को लेकर भी साधा निशाना

राज्य आयोगों में आरएसएस की सिफारिश पर एनडीए नेताओं के परिजनों की नियुक्तियों को लेकर भी उन्होंने नीतीश कुमार से जवाब मांगा। दीपंकर ने तंज कसते हुए कहा, "नीतीश बताएँ कि किस पद पर संघ के कितने लोगों को बैठाया गया है?"

केंद्र सरकार को भी घेरा

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, "बाबा साहेब का नाम लेने वाले प्रधानमंत्री वक्फ संशोधन कानून और नागरिकता कानून लाकर संविधान को ही मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, देशभर में प्रवासी बिहारी मजदूरों के घरों पर बुलडोज़र चलवाया जा रहा है।"

भीड़ और समर्थन ने भरा जोश

पटना से सड़क मार्ग से पहुंचे दीपंकर का पितोझिया, रामरेवता चौक, औराई बाजार, प्रेमनगर, चन्दौली जैसे अनेक स्थानों पर गुलदस्तों और नारों के साथ ज़ोरदार स्वागत किया गया। सभा में मीना तिवारी, शशि यादव, मनोज मंजिल, प्रसेनजीत, मंजू प्रकाश समेत कई दिग्गज नेताओं ने भाग लिया।

बदलाव यात्राबन रही जनज्वार की लहर

20 जून को समस्तीपुर के जटमलपुर से शुरू हुई यह यात्रा दरभंगा के हायाघाट, बहेड़ी, बेनीपट्टी, जाले होते हुए अब मुजफ्फरपुर पहुंची है। सभा में कहा गया कि यह यात्रा गरीबों, महिलाओं, छात्रों और मजदूरों की आवाज़ बनकर सत्ता के खिलाफ निर्णायक आंदोलन की दिशा तय करेगी।

भाकपा (माले) का यह आंदोलन सिर्फ चुनावी अभियान नहीं बल्कि बिहार को नए रास्ते पर ले जाने की पहल है। पार्टी का दावा है—इस बार बदलाव सिर्फ नारे में नहीं, हकीकत में दिखेगा।