ललन सिंह और राजीव शर्मा की बंद कमरे में मुलाकात के बाद बढ़ा सियासी हलचल
- Post By Admin on Nov 25 2024

मुजफ्फरपुर : केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने रविवार को मुजफ्फरपुर का दौरा किया। जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान उन्होंने लंगट सिंह कॉलेज में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया और मिठनपुरा स्थित एक निजी होटल में तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उपचुनाव में जेडीयू प्रत्याशी अभिषेक झा के समर्थन में सभा भी की।
राजीव शर्मा से मुलाकात ने सियासी हलचल बढ़ाई:
ललन सिंह के इस दौरे की सबसे खास घटना रही चक्कर मैदान स्थित राजभवन में उनकी राजीव शर्मा से मुलाकात। राजभवन, जिसे भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा का आवास बताया जाता है, में हुई यह बंद कमरे की मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई। मुलाकात के बाद ललन सिंह और राजीव शर्मा ने एक साथ भोजन भी किया। जिससे इस मुलाकात की राजनीतिक अहमियत और बढ़ गई।
क्या राजीव शर्मा जेडीयू में शामिल होंगे?
ललन सिंह और राजीव शर्मा के बीच की लंबी मुलाकात के बाद मुजफ्फरपुर की सियासत में नई हलचल मच गई है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि राजीव शर्मा जल्द ही जेडीयू का दामन थाम सकते हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में वह जेडीयू के उम्मीदवार के तौर पर अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।
मीडिया द्वारा इस मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राजीव शर्मा ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा कि यदि उन्हें अवसर मिला तो वह अपने पिता की विरासत को संभालेंगे और मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की।
भा.ज.पा. के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं:
मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट भाजपा के लिए परंपरागत रूप से मजबूत रही है। जहां भाजपा के उम्मीदवारों को हमेशा अच्छा समर्थन मिलता रहा है। ऐसे में अगर राजीव शर्मा जेडीयू में शामिल होते हैं, तो भाजपा के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मुजफ्फरपुर की सीट को लेकर कई भाजपा नेता पहले से ही चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं और राजीव शर्मा का जेडीयू में शामिल होना भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
एनडीए के भीतर सीट वितरण को लेकर असमंजस:
अगर राजीव शर्मा जेडीयू का दामन थामते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए गठबंधन में मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट किसके खाते में जाती है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन दोनों नेताओं की मुलाकात ने भाजपा के नेताओं की नींद उड़ा दी है। अब यह देखना होगा कि भविष्य में राजनीतिक समीकरण कैसे बदलते हैं और यह मुलाकात मुजफ्फरपुर की राजनीति पर किस हद तक असर डालती है।