बिहार में पूर्व आईएएस आईपीएस अधिकारियों का पनाह स्थल बन रहा जन सुराज, क्या बदलेगा उनका पुराना इतिहास
- Post By Admin on Oct 14 2024

पटना : प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी आईपीएस और आईएएस पदाधिकारियों को चुनावी राह पर उतारने की योजना बनाती दिख रही हैं। हाल की बात करें तो पूर्व आईएएस और आईपीएस की पहली पसंद जन सुराज बन गया है। यह दीगर कि बिहार की राजनीति में खास कर अधिकांश पूर्व आईपीएस को चुनावी जंग रास नहीं आई। फिर भी जन सुराज के प्लेटफार्म से कई पूर्व आईपीएस चुनावी जंग में उतरते दिख सकते हैं।
बिहार की राजनीति में पूर्व पुलिस अधिकारियों का प्रदर्शन मिला-जुला रहा है। कुछ अधिकारी इसमे सफल भी हुए हैं जैसे की ललित विजय सिंह और निखिल कुमार।
कौन कौन से पूर्व आईपीएस का पनाह स्थल बना जन सुराज
जन सुराज पार्टी से जुड़ने वाले पूर्व आईपीएस में एक नाम अरविंद ठाकुर का आता है। अरविंद ठाकुर विधान सभा के चुनावी जंग में किस्मत आजमाना चाहते हैं। वही, इनका साथ देते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्र भी जन सुराज के प्लेटफार्म से चुनावी जंग में शामिल होना चाहते हैं। आनंद मिश्र बक्सर लोकसभा से चुनाव लड़ भी चुके है। वहां उन्हें जीत तो नहीं मिली, पर भाजपा उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी की हार का कारण ज़रूर बने हैं।
अच्छा नहीं पूर्व पुलिस अधिकारियों का इतिहास
बहुत में नहीं पर कुछ पुलिस अधिकारियों में रिटायर्मेंट के बाद चुनाव लड़ने की इच्छा उफान लेते दिखी। लेकिन यह इच्छा एक आध-बार हारने के बाद खत्म होते दिखी। उदाहरण के तौर पर पूर्व डीजीपी डी. पी. ओझा ने भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। इनकी ख्याति आरजेडी नेता शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसने को लेकर हुई थी। उन्होंने अपनी इस लोकप्रियता को राजनीतिक आधार बना लिया और जातीय समीकरण का ख्याल रख कर बेगूसराय से अपनी किस्मत आजमाई, पर वे हार गए।
कभी डीजीपी रहे आशीष रंजन सिन्हा ने भी राजनीति में अपनी किस्मत को आजमाया। आशीष रंजन सिन्हा ने भी जातीय समीकरण देखते नालंदा लोकसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन इन्हें भी हार मिली। पूर्व पुलिस महानिदेशक आरआर प्रसाद ने भी राजनीति में किस्मत आजमाई, पर इन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।
काफी चर्चित रहे पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेये
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेये का राजनीतिक सफर तो काफी चर्चित रहा। एक बार तो गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस भी ले लिया। पर टिकट को लेकर जहां से आश्वासन मिला था, वहां से मिले 'ना' ने उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा को ठेस पहुंची। फिर किसी तरह से नौकरी में वापसी हुई, लेकिन उनकी राजनीति की महत्वाकांक्षा समाप्त नहीं हुई। डीजीपी के पद से रिटायर हुए तब गुप्तेश्वर पांडेय विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन विधानसभा लड़ने के लिए भी टिकट नहीं मिला तो संन्यास ले लिया। अब वो कथा वाचक की जिंदगी जी रहे हैं।
कुछ ने जीत का स्वाद भी चखा
सफल रहे पूर्व आईपीएस अधिकारियों में एक नाम ललित विजय सिंह का है। बड़हिया के रहने वाले ललित विजय सिंह 1989 में जनता दल के टिकट से लड़े और वही इसमें जितने वालों में दूसरा नाम निखिल कुमार का आता है। ये औरंगाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते भी। जीत की बाजी अपने हाथ कारण वालों में सुनील कुमार का भी नाम आता है। ये वर्ष 2020 में विधान सभा चुनाव लड़े और जीते भी।