भूमि अधिकार सम्मेलन में गरजे भाकपा-माले नेता, सरकार पर लगाए लोकतंत्र विरोधी नीतियों के आरोप
- Post By Admin on Feb 23 2025

मुजफ्फरपुर : भाकपा-माले नगर कमिटी के बैनर तले शुक्रवार को भूमि अधिकार सम्मेलन का आयोजन हरिसभा चौक स्थित माले जिला कार्यालय के प्रांगण में किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की, जिसमें फहद जमा, विनय कुमार वर्मा, मोहम्मद इरशाद, मुनीम महतो और लक्ष्मण राय शामिल थे, जबकि संचालन नगर कमिटी सदस्य शाहनवाज़ हुसैन उर्फ नौशाद ने किया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य मीना तिवारी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने में लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को भाजपा अपने नियंत्रण में ले रही है और चुनाव आयुक्त के मनोनयन में भी नियमों की अनदेखी की गई है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि सरकार वकीलों के अधिकारों को खत्म करने के लिए 'वकील अमेंडमेंट बिल' ला रही है, ताकि न्यायपालिका पर भी नियंत्रण स्थापित किया जा सके। भूमिहीन परिवारों को ज़मीन देने की मांग उठाते हुए मीना तिवारी ने कहा कि बिहार में 19 लाख भूमिहीन परिवार हैं, जबकि सरकार के पास 21 लाख एकड़ ज़मीन उपलब्ध है। इसके बावजूद गरीबों को ज़मीन देने के बजाय सरकार इसे बड़े लोगों के हवाले करने की योजना बना रही है। भाकपा-माले द्वारा जारी 18 सूत्रीय 'बदलो बिहार' चार्टर में गरीबों को 5 डिसमिल ज़मीन, पक्का मकान, पर्चा और कब्ज़ा देने की मांग प्रमुख रूप से रखी गई है।
मीना तिवारी ने बिहार और केंद्र सरकार पर भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सासाराम की बेटी स्नेहा कुशवाहा की वाराणसी के हॉस्टल में हत्या कर दी गई, लेकिन न तो प्रधानमंत्री मोदी और न ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर कोई बयान दिया। उन्होंने कहा कि बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार बेटियों की सुरक्षा भी नहीं कर पा रही। इसके साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया कि संघ परिवार बिहार में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश रच रहा है। नगर सचिव सूरज कुमार सिंह ने सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि नवंबर में 'हक दो, वादा निभाओ' अभियान के तहत 3700 लोगों ने ज़मीन-आवास के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आज तक किसी को ज़मीन नहीं मिली। सरकार ने अब मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का पोर्टल खोला है, लेकिन आवेदन के लिए सिर्फ 19 फरवरी से 5 मार्च तक का समय दिया गया है, जो बहुत कम है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पोर्टल को मार्च के अंत तक खुला रखा जाए ताकि सभी ज़रूरी दस्तावेज़ समय पर जमा किए जा सकें।
इंसाफ मंच के जिलाध्यक्ष फहद जमा ने भी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ज़मीन का सवाल गरीबों के लिए सबसे अहम मुद्दा है। उन्होंने आरोप लगाया कि शहर में जब भी अतिक्रमण हटाने के नाम पर बुलडोजर चलता है, तो उसका शिकार केवल गरीब होते हैं। फुटपाथ पर छोटे व्यवसाय करने वाले लोग सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं, लेकिन वे अपने हक की लड़ाई के लिए 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में होने वाले 'महाजुटान' में शामिल होंगे। सम्मेलन में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी देखी गई। मोहम्मद फारूक, साजदा खातून, आबाद खातून, शांति देवी, मोहम्मद ताजू, रानी कुमारी और सोनी खातून सहित कई वक्ताओं ने इस अवसर पर अपने विचार रखे।
महाजुटान को लेकर जुट रहा जनसमर्थन
सम्मेलन में यह संकल्प लिया गया कि 2 मार्च को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में हजारों लोगों की भागीदारी होगी, जहां बिहार के सभी जन आंदोलनों का मिलन होगा। भूमि अधिकार, गरीबों के लिए आवास, और लोकतंत्र की रक्षा जैसे मुद्दों पर यह महाजुटान सरकार के खिलाफ एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन साबित होगा ।