ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और मेक इन इंडिया पहल से सीख सकता है अमेरिका : टॉप अर्बन वॉरफेयर एक्सपर्ट्स

  • Post By Admin on Aug 01 2025
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और मेक इन इंडिया पहल से सीख सकता है अमेरिका : टॉप अर्बन वॉरफेयर एक्सपर्ट्स

वाशिंगटन: भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता ने वैश्विक सैन्य हलकों में हलचल मचा दी है। अमेरिका के शीर्ष शहरी युद्ध विशेषज्ञों ने न केवल भारत की रणनीतिक सैन्य क्षमता की सराहना की है, बल्कि यह भी कहा है कि अमेरिका को अब भारत से सीखने की जरूरत है – खासकर ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल से, जिसने भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को नए मुकाम पर पहुंचाया है। स्मॉल वॉर्स जर्नल में प्रकाशित अपने व्यापक विश्लेषण में अमेरिका के प्रतिष्ठित रक्षा विश्लेषक जॉन स्पेंसर और विन्सेंट वियोला ने कहा है कि भारत आज "घातकता की भौतिकी का मास्टर" बन चुका है – एक ऐसा मुकाम जिसकी अमेरिका को भी आवश्यकता है।

विश्लेषण का शीर्षक ही बहुत कुछ कहता है:

"भारत की जागृति की पुकार: अमेरिकी रक्षा सुधार आधुनिक युद्ध की गति से क्यों मेल नहीं खा पा रहे हैं"

भारत से सीखने का समय आ गया है: विशेषज्ञों की दो टूक

स्पेंसर और वियोला का कहना है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ हथियारों या तकनीक की बात नहीं है, बल्कि यह तेज़ सोच, तेज़ निर्णय, तेज़ निर्माण और सटीक हमलों की कला है – जिसमें भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए शानदार प्रदर्शन किया।

उन्होंने लिखा:

“भारत ने अभी साबित कर दिया है कि एक आत्मनिर्भर सैन्य औद्योगिक ढांचा कैसा दिखता है।”

बिना विदेशी सहायता, भारत ने रचा इतिहास

विश्लेषण में बताया गया कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं था, बल्कि यह एक रणनीतिक मोड़ था। सिर्फ चार दिनों में भारत ने घरेलू रूप से विकसित हथियारों – ब्रह्मोस मिसाइलें, आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम, ड्रोन और स्वायत्त हथियार – के ज़रिए सीमा पार सटीक और निर्णायक हमले किए।

"कोई अमेरिकी तकनीक नहीं, कोई विदेशी सप्लाई लाइन नहीं – सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की शक्ति," उन्होंने लिखा।

चीन-समर्थित प्रतिद्वंद्वी को भारत ने दी कड़ी चुनौती

विश्लेषकों ने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान, जो चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणालियों पर निर्भर था, भारत के हमलों को रोकने में पूरी तरह विफल रहा। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की न सिर्फ सैन्य श्रेष्ठता को स्थापित किया, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन को भी भारत के पक्ष में मोड़ दिया।

‘मेक इन इंडिया’ बनी गेमचेंजर

विशेषज्ञों ने माना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू की गई 'मेक इन इंडिया' पहल अब भारत की रक्षा क्रांति का आधार बन चुकी है। एक दशक के भीतर इसका असर दिखा – रक्षा उपकरणों का घरेलू उत्पादन तेजी से बढ़ा और अब भारत की रक्षा खरीद में 65% हिस्सा स्वदेशी स्रोतों से आ रहा है, जिसे 2030 तक 90% तक ले जाने का लक्ष्य है।

अमेरिका को चाहिए भारतीय मॉडल

स्पेंसर और वियोला ने अमेरिका को आगाह किया कि यदि वह अपने रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को सबसे अनुकूलनीय, कुशल और प्रभावशाली नहीं बनाता, तो वह आने वाले युद्धों में पिछड़ सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका को स्थायी, तैनाती योग्य शिक्षण इकाइयाँ बनानी होंगी जो सीधे युद्धक्षेत्र से सीखकर रक्षा सुधार करें – न कि केवल थिंक टैंक और रिपोर्ट्स के भरोसे रहें।