वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ भारत ने शुरू किया वैश्विक सहयोग का नया अध्याय, 9 देशों में चलेंगे चार प्रमुख प्रोजेक्ट
- Post By Admin on Aug 02 2025

नई दिल्ली : ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ की भावना को और मजबूती देने के लिए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर नौ साझेदार देशों में चार अहम परियोजनाओं की शुरुआत की है। यह पहल ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने के लिए साझेदार देशों की क्षमताओं को मजबूत करना है।
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में इस पहल का शुभारंभ विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया। इस मौके पर यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, विभिन्न देशों के राजनयिक, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) से जुड़ी संस्थाओं और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के अधिकारी मौजूद रहे।
इन चार परियोजनाओं का क्रियान्वयन जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण सूडान में किया जाएगा। ये प्रोजेक्ट्स खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना संबंधी तैयारियों पर केंद्रित हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, “एसडीजी लक्ष्यों को पाने की दिशा में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत-यूएन की साझेदारी मजबूत हो रही है। नई पहल के तहत अनुभव साझा कर वैश्विक दक्षिण के साझेदारों को सशक्त बनाया जाएगा।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा, “एसडीजी-17 की भावना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रतिबद्धता के तहत यह पहल खास मायने रखती है। इससे भारत के संस्थानों के अनुभवों और नवाचारों को वैश्विक मंच पर साझा किया जा सकेगा।”
संयुक्त राष्ट्र के शॉम्बी शार्प ने भी भारत की प्रशंसा करते हुए कहा, “‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मूल मंत्र के साथ भारत न केवल अपने विकास मॉडल को साझा कर रहा है, बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को मजबूती भी दे रहा है।”
गौरतलब है कि यह परियोजना ‘यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड’ और ITEC कार्यक्रम के माध्यम से लागू की जाएगी, जिसमें स्किल ट्रेनिंग, ज्ञान आदान-प्रदान और पायलट प्रोजेक्ट्स जैसे कदम शामिल हैं।
यह पहल भारत की ‘नेक्स्ट-जेन डिप्लोमेसी’ का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तहत देश वैश्विक सहयोग के जरिए विकासशील देशों की क्षमताओं को मजबूत करने में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है।