राजस्थान में मिलावट का कहर: जयपुर में हर चौथा सैंपल फेल
- Post By Admin on Sep 28 2024

जयपुर : देशभर में खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या गंभीर होती जा रही है, और हाल ही में खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान इस मामले में शीर्ष पर है। जयपुर में तो हालात और भी चिंताजनक हैं, जहां हर चौथा सैंपल खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरता।
खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए हालिया सर्वे के अनुसार, देश में 22% सैंपल मिलावट के चलते फेल हो रहे हैं, जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 27% तक पहुंच चुका है। जयपुर में स्थिति और भी खराब है, जहां 30% सैंपल फेल पाए गए हैं।
विश्व स्तर पर भी भारत में मिलावट के मामले गंभीर हैं, जहां अन्य बड़े देशों में यह आंकड़ा 17% के करीब है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो आमजन के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
दूध और दूध से बनी वस्तुओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। रिपोर्ट्स में पता चला है कि दूध में पानी और सफेद रंग मिलाकर कम गुणवत्ता का उत्पाद बनाया जा रहा है। इसके अलावा, दूध से निकाले गए क्रीम के साथ भी मिलावट हो रही है, जिससे ग्राहक स्वास्थ्य के लिए खतरे में पड़ सकते हैं।
खाद्य पदार्थों में मिलावट के नए तरीके
1. आइसक्रीम और आइसलैंडी : अध्ययन में पता चला है कि इन मिठाइयों में अक्सर बनावटी मिठास और हानिकारक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जो स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं।
2. घी और तेल : बाजार में मिलावट के चलते घी में वनस्पति तेल, सरसों के तेल में सत्यानाशी का तेल और खनिज तेल जैसे सस्ते और हानिकारक पदार्थ मिलाए जा रहे हैं।
3. मिठाइयाँ : मिठाईयों में सोप स्टोन, नुकसान पहुंचाने वाले रंग और संकीर्ण एल्यूमीनियम का वर्क मिलाने की प्रथा तेजी से बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
4. सोडा वाटर : बाजार में उपलब्ध सोडा वाटर में सैकरीन, प्रतिबंधित कोलतार के इंग्रेडिएंट और गंदा पानी जैसी सामग्री पाई जा रही है, जो न केवल स्वाद को बिगाड़ती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की मिलावट से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
वहीं, खाद्य सुरक्षा विभाग लगातार प्रयासरत है और मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इस खतरे को जड़ से समाप्त करने के लिए जनता को भी जागरूक होना होगा।