QS वर्ल्ड रैंकिंग में भारत की ऐतिहासिक छलांग, 54 शिक्षण संस्थानों को मिली वैश्विक मान्यता
- Post By Admin on Jun 20 2025
.jpg)
जयपुर : भारत की शिक्षा व्यवस्था ने वैश्विक मंच पर एक नया कीर्तिमान रच दिया है। प्रतिष्ठित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में इस बार भारत के 54 उच्च शिक्षण संस्थानों को स्थान मिला है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रतिफल" करार दिया।
जयपुर स्थित मणिपाल यूनिवर्सिटी में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में भाग लेते हुए प्रधान ने कहा कि यह उपलब्धि भारत के शिक्षा क्षेत्र में हो रहे "परिवर्तनकारी सुधारों" का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में जहां केवल 11 भारतीय संस्थान इस वैश्विक सूची में थे, आज यह संख्या पांच गुना बढ़कर 54 पहुंच गई है।
भारत की शिक्षा नीति का वैश्विक प्रभाव
शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि नई शिक्षा नीति केवल पाठ्यक्रम का बदलाव नहीं, बल्कि "सोच और दृष्टिकोण का क्रांतिकारी परिवर्तन" है। इसमें भारतीय भाषाएं, व्यावहारिक ज्ञान, रिसर्च, टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन और स्किल डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि अब भारत की शिक्षा प्रणाली आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की रीढ़ बन चुकी है।
वैश्विक रैंकिंग में भारत की रिकॉर्ड छलांग
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, बीते एक दशक में भारत ने क्यूएस रैंकिंग में 390% की वृद्धि दर्ज की है, जो G-20 देशों में सबसे तेज है। इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, भारत के लगभग 48% विश्वविद्यालयों ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है और 5 संस्थान वैश्विक टॉप-100 में जगह बनाने में सफल रहे हैं।
प्रमुख भारतीय संस्थानों की स्थिति:
• IIT बॉम्बे : पिछले वर्ष 118वें से फिसलकर 129वें स्थान पर
• IIT मद्रास : 227वें से छलांग लगाकर 180वें स्थान पर
• IIT खड़गपुर : 215वां स्थान
• IISc बेंगलुरु : 219वां स्थान
• दिल्ली विश्वविद्यालय : 328वां स्थान
• निजी विश्वविद्यालयों में BITS पिलानी (668) और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (851-900) में शामिल हैं
वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा तेज
विश्व सूची में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने लगातार 14वें साल शीर्ष स्थान बरकरार रखा है, जबकि भारत के संस्थानों की बढ़ती भागीदारी वैश्विक मंच पर उसकी ताकत को दर्शाती है।
"शिक्षा से आत्मनिर्भरता की ओर यात्रा"
प्रधान ने अपने संबोधन में कहा, "यह बदलता हुआ भारत है, यह मोदी जी के नेतृत्व वाला भारत है, जिसकी शिक्षा नीति न केवल युवाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि देश को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की ओर अग्रसर है।" उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में भारत और अधिक संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाएगा। निस्संदेह, यह उपलब्धि भारत की उभरती शैक्षणिक शक्ति और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों की स्पष्ट झलक है।