राजस्थान हाईकोर्ट का अहम फैसला, बिना जांच नौकरी से बर्खास्तगी को बताया मौत की सजा

  • Post By Admin on May 13 2025
राजस्थान हाईकोर्ट का अहम फैसला, बिना जांच नौकरी से बर्खास्तगी को बताया मौत की सजा

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि किसी कर्मचारी को बिना उचित जांच के नौकरी से बर्खास्त करना 'मौत की सजा' देने के समान है। न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की पीठ ने स्पष्ट किया कि केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर नौकरी से निकाला जाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। अदालत ने सरकारी नौकरी से बर्खास्त किए गए एक शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक (पीटीआई) को बहाल करने का आदेश दिया है।

क्या है मामला?

याचिकाकर्ता पीटीआई को धोखाधड़ी से नौकरी हासिल करने के आरोप में केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसके खिलाफ न तो कोई आरोप पत्र जारी किया गया और न ही अनुशासनात्मक जांच की गई। अदालत ने राज्य सरकार की इस कार्यवाई को अनुचित मानते हुए कहा कि बगैर जांच के सेवा समाप्ति का आदेश मृत्युदंड के समान है।

न्यायालय की टिप्पणी

अदालत ने कहा कि सरकारी सेवा से बर्खास्तगी एक गंभीर कदम है, जो निर्दोष व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है। ऐसे में बिना आरोप पत्र और जांच प्रक्रिया के नौकरी से हटाना कानूनन और नैतिक रूप से गलत है। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ने सिविल सेवा नियमों का पालन नहीं किया।

राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार ने दलील दी कि प्रारंभिक जांच में याचिकाकर्ता के दस्तावेज़ों में विसंगतियां पाई गई थीं, जिससे यह संकेत मिला कि नौकरी धोखाधड़ी से हासिल की गई थी। हालांकि, अदालत ने तर्क दिया कि केवल एकतरफा जांच और कारण बताओ नोटिस के आधार पर सेवा समाप्त करना अनुचित है।

फैसले का महत्व

अदालत ने सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को पुनः बहाल करने का निर्देश दिया। यह फैसला सरकारी नौकरियों में कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा और प्रक्रियात्मक न्याय को मजबूती प्रदान करने वाला माना जा रहा है। उच्च न्यायालय के इस निर्णय से भविष्य में बगैर जांच कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के मामलों पर सख्ती से रोक लगने की उम्मीद है।