नहीं रही रणथंभौर की मगरमच्छ शिकारी बाघिन एरोहेड, ब्रेन ट्यूमर से हुई मौत
- Post By Admin on Jun 20 2025
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जयपुर : रणथंभौर नेशनल पार्क की चर्चित बाघिन ‘एरोहेड’ (T-84) का गुरुवार को निधन हो गया। लगभग 11 वर्ष की यह बाघिन ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही थी। वन विभाग ने उसकी मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि गुरुवार सुबह वह रणथंभौर टाइगर रिजर्व के जोन-2 में मृत पाई गई।
एरोहेड न केवल रणथंभौर की एक प्रमुख बाघिन थी, बल्कि अपने साहसिक शिकार कौशल के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रही थी। कुछ माह पूर्व उसने एक जलाशय में मगरमच्छ का शिकार कर सुर्खियां बटोरी थीं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। यह दृश्य रणथंभौर की पूर्ववर्ती बाघिन ‘मछली’ की याद दिलाता है, जिसे ‘रणथंभौर की रानी’ और ‘मगरमच्छ शिकारी’ के नाम से जाना जाता था।
बाघिन मछली की वारिस एरोहेड
वन अधिकारियों के अनुसार, एरोहेड का जन्म फरवरी 2014 में रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन मछली के वंश में हुआ था। वह मुख्यतः जोन 2, 3, 4 और 5 में सक्रिय रहती थी और नलघाटी एवं राजबाग झील को अपनी स्थायी क्षेत्र मानती थी। उसकी सुंदरता और फोटोजेनिक लुक के कारण वह पर्यटकों और फोटोग्राफरों के बीच बेहद लोकप्रिय थी।
चार बार बनी मां, छोड़ी विरासत
रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर ने बताया कि एरोहेड ने चार बार मां बनते हुए कुल 10 शावकों को जन्म दिया, जिनमें से 6 आज भी जीवित हैं। वह आखिरी बार 2023 में मां बनी थी। अधिकारियों के मुताबिक, एरोहेड की मौत उसके एक शावक 'कनकती' को पार्क से बाहर स्थानांतरित किए जाने के कुछ ही दिन बाद हुई।
बीमारी ने छीनी रफ्तार
वन विभाग का कहना है कि वह बीते कुछ समय से बीमार थी और उसकी गतिविधियों में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि पशु चिकित्सकों की टीम ने की है।
श्रद्धांजलि और अंतिम विदाई
एरोहेड की मौत से वन विभाग सहित समूचे वन्यजीव संरक्षण समुदाय में शोक की लहर है। अधिकारियों और कर्मचारियों ने गुरुवार को उसे श्रद्धांजलि दी और विधिवत अंतिम संस्कार किया।
रणथंभौर एक बार फिर अपनी एक विरांगना बाघिन को खो बैठा, लेकिन एरोहेड की बहादुरी, मातृत्व और वन संरक्षण में योगदान की कहानी आने वाले वर्षों तक याद की जाती रहेगी।