उत्तराखंड के स्कूलों में गीता का पाठ अनिवार्य, शिक्षा सुधार की दिशा में सीएम धामी का बड़ा कदम
- Post By Admin on May 07 2025

देहरादून : उत्तराखंड में शिक्षा की गुणवत्ता और नैतिक शिक्षा को सशक्त करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने मंगलवार को कैंप कार्यालय में आयोजित शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में राज्य के स्कूलों में श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के स्पष्ट निर्देश दिए। सीएम धामी ने कहा कि बच्चों को नैतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने के लिए गीता का अध्ययन महत्वपूर्ण है, जिससे उनके चरित्र निर्माण में मदद मिलेगी।
मॉनसून से पहले स्कूलों का होगा निरीक्षण
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी स्कूलों का मानसून शुरू होने से पहले गहन निरीक्षण कराने के निर्देश भी दिए। उन्होंने स्कूलों की इमारतों, रास्तों, पुलों और अन्य मूलभूत सुविधाओं की स्थिति का गंभीरता से आकलन करने पर जोर दिया ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके। साथ ही, अगले दस वर्षों के लिए शिक्षा क्षेत्र में स्पष्ट योजना तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया।
छात्रों के लिए परिवहन और आवासीय सुविधा का विस्तार
राज्य सरकार ने क्लस्टर विद्यालयों में आवासीय हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। इसके तहत, पहले चरण में हर जिले में एक-एक आवासीय हॉस्टल स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा, 559 क्लस्टर विद्यालयों के 15 किमी के दायरे में आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए परिवहन सुविधा का भी प्रस्ताव शीघ्र लाने के निर्देश दिए गए हैं।
पाठ्यपुस्तकों की समय पर उपलब्धता और पारदर्शी तबादला प्रक्रिया
मुख्यमंत्री ने छात्रों को हर वर्ष समय पर पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया और तबादला प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने इस संबंध में सभी पहलुओं पर गहन अध्ययन कर प्रस्ताव प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। साथ ही, एनसीसी और एनएसएस को बढ़ावा देने के लिए उन स्कूलों की पहचान करने की बात कही जहां अभी ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
सीएसआर फंड से शिक्षा में सुधार की पहल
सीएम धामी ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए औद्योगिक संस्थानों से सीएसआर फंड का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए किसी भी प्रकार की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी। इसके अलावा, राज्य में राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में छात्रों की क्षमता के अनुसार प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए प्रतीक्षा सूची बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा और कौशल विकास पर जोर
पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा, पर्यावरणीय अध्ययन, सांस्कृतिक विरासत, महान व्यक्तित्वों की जीवनी, लोककथा, लोकसाहित्य, संगीत, कला, कौशल विकास और स्वास्थ्य शिक्षा को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री की यह पहल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि छात्रों को संवेदनशील, संस्कारित और ज्ञानवान नागरिक बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है।