बिहार विश्वविद्यालय प्रशासन की कुव्यवस्था की मार झेल रहे छात्र

  • Post By Admin on Apr 10 2024
बिहार विश्वविद्यालय प्रशासन की कुव्यवस्था की मार झेल रहे छात्र

मुजफ्फरपुर : भीम राव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर की बदहाली की कहानी पुरानी है। एक हजार करोड़ से अधिक बजट वाले विश्वविद्यालय परिसर में चारों ओर जंगली पौधे ऐसे उगे हैं, जैसे कोई वनीय क्षेत्र हो। विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करते ही चारों ओर गंदगी का अंबार और कुव्यवस्था चीख-चीख कर अपनी हाल बयां करती हैं। अंकित की गई तस्वीर विश्वविद्यालय में स्थित शौचालय की है। इसकी दुर्दशा देख कर हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि जब छात्रों और शिक्षकों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने में विश्वविद्यालय नाकाम साबित हो रहा है तो शिक्षा की क्या स्थिति होगी। जरा सोचिए कि इस टूटे फूटे शौचालय का इस्तेमाल छात्र कैसे करते होंगे। इस कुव्यवस्था में सबसे ज्यादा महिला कर्मचारी और छात्राओं को परेशानी होती है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके कर्मचारी या छात्र परेशान हो रहे हैं।

यहां की शिक्षा व्यवस्था भी ऐसी है कि प्रवेश परीक्षा या परिणाम हो, कोई भी समय से जारी नहीं होता। तीन साल का स्नातक पांच साल और दो वर्ष का स्नातकोत्तर कोर्स चार वर्ष में पूरा होता है। यहां न अधिकारी समय से आते हैं और न ही कर्मचारी। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के अलावा बाकी सभी काम बड़ी आसानी से होता है। परंतु शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने की ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया। वित्तीय अनियमितता, घोटाला और पेंडिंग परिणाम के कारण विश्वविद्यालय की अक्सर किरकिरी होती है।