झारखंड : आदिवासी छात्रों के लिए मुफ्त आवासीय मेडिकल-इंजीनियरिंग कोचिंग का शुभारंभ
- Post By Admin on Dec 22 2025
रांची : झारखंड सरकार ने राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के विद्यार्थियों के लिए इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की निःशुल्क आवासीय कोचिंग की पहल शुरू की है। रांची के हिंदपीढ़ी में स्थापित ‘दिशोम गुरु शिबू सोरेन इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कोचिंग संस्थान’ का उद्घाटन सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया।
इस संस्थान के संचालन के लिए राज्य सरकार ने देश की प्रतिष्ठित संस्था मोशन एजुकेशन, कोटा के साथ साझेदारी की है। मुख्यमंत्री ने समारोह में कहा कि यह योजना आदिवासी विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने वाली ठोस और दूरदर्शी पहल है। उन्होंने छात्रों से अनुशासन और समर्पण बनाए रखने की अपील की और कहा कि सरकार आदिवासी समाज के शैक्षणिक और सामाजिक उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि कोचिंग परिसर में पढ़ाई के साथ खेलकूद और अन्य सह-पाठ्य गतिविधियों की पर्याप्त सुविधाएं विकसित की जाएं, ताकि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके। कल्याण विभाग के तहत संचालित इस संस्थान में पहले चरण में 300 मेधावी एसटी विद्यार्थियों का चयन किया गया है। चयनित छात्रों को विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा उच्चस्तरीय कोचिंग, अध्ययन सामग्री, ई-कंटेंट युक्त टैबलेट, पुस्तकालय और डिजिटल अध्ययन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। संस्थान पूरी तरह निःशुल्क और आवासीय है, जिसमें छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग छात्रावास की व्यवस्था की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि यह पहल ‘झारखंड अनुसूचित जनजाति शिक्षण उत्थान कार्यक्रम’ के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य आर्थिक अभाव के कारण मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी पेशेवर पढ़ाई से वंचित रह जाने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को आगे बढ़ने का अवसर देना है। योजना का लाभ केवल झारखंड के स्थायी निवासी एसटी विद्यार्थियों को मिलेगा, जिनके माता-पिता नियमित सरकारी सेवा में नहीं हैं।
संस्थान के उद्घाटन समारोह में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह सहित अन्य विभागीय अधिकारी और गणमान्य लोग मौजूद रहे। इसके साथ ही राज्य सरकार एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के मेधावी विद्यार्थियों के लिए भी मेडिकल और इंजीनियरिंग की निःशुल्क कोचिंग योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है, जिसे अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने और आगामी बजट में राशि आवंटित करने पर विचार किया जा रहा है।