शिक्षा में कॉरपोरेट का बढ़ता हस्तक्षेप गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा से कर रहा है बेदखल: डॉ. हरिनारायण

  • Post By Admin on Aug 11 2024
शिक्षा में कॉरपोरेट का बढ़ता हस्तक्षेप गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा से कर रहा है बेदखल: डॉ. हरिनारायण

मुजफ्फरपुर : बिहार शोध संवाद की ओर से रविवार को विश्व विभूति पुस्तकालय, कच्ची पक्की में "लुटेरी देसी-विदेशी कंपनियां और शिक्षा व रोजगार से बेदखल होते युवा" विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए लेखक और विचारक प्रो. (डॉ.) हरिनारायण ठाकुर ने कहा कि शिक्षा का निजीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिससे शिक्षा महंगी हो गई है और गरीबों के लिए इसे पाना कठिन हो गया है। उन्होंने कहा कि अमीरी और गरीबी के बीच की खाई बढ़ती जा रही है, जिससे समाज का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा से वंचित हो रहा है।

लेखक-चिंतक अनिल प्रकाश ने सेमिनार का विषय प्रस्तुत करते हुए कहा कि देसी-विदेशी कंपनियां केवल संसाधनों पर ही नहीं, बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था पर भी नजरें गड़ाए हुए हैं। शिक्षा का व्यावसायीकरण किया जा रहा है, जिससे गरीब बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है।

समाजसेवी नरेश सहनी और आनंद पटेल ने भी इस कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए। संगीता सुभाषिनी ने अपनी कविता से सभी को प्रभावित किया। पहले सत्र का मंच संचालन संस्कृतिकर्मी बैजू कुमार ने किया।

दूसरे सत्र की अध्यक्षता दिवाकर घोष ने की। उन्होंने कहा कि 'नाॅट फाउंड सुटेबल' और 'लैटरल इंट्री' जैसे तरीकों से मध्यम वर्ग के युवाओं को नौकरियों से बाहर किया जा रहा है। डॉ. कमालुद्दीन ने शिक्षा, रोजगार और नौकरियों पर बढ़ते संकट के प्रति आगाह किया। सहायक प्रोफेसर जयनाथ सहनी ने उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की।

इस सत्र में डॉ. हेमनारायण विश्वकर्मा, राकेश कुमार साहू, नीरज कुमार, चंदेश्वर राम, और शंभू मोहन प्रसाद ने भी अपने विचार रखे। मंच संचालन डॉ. संतोष सारंग ने किया। जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा के अमन कुमार ने गीत प्रस्तुत किए। वहीं, सुनील सरला द्वारा 'घिरे हैं हम सवालों से, हमें जवाब चाहिए' और 'ठाकुर का कुआं' जैसी कविताओं का प्रस्तुतीकरण हुआ।

इस अवसर पर कई महत्वपूर्ण हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें राकेश कुमार साहू, अनिल कुमार अनल, चंदेश्वर राम, कृष्णा प्रसाद, संगीता सुभाषिनी, इंदु भारती, और अन्य प्रमुख रूप से शामिल थे।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन बिहार शोध संवाद के जिला संयोजक रामबाबू ने किया।