सावन पुत्रदा एकादशी : महादेव और नारायण की कृपा पाने का दुर्लभ अवसर, जानें व्रत और पूजन विधि

  • Post By Admin on Aug 04 2025
सावन पुत्रदा एकादशी : महादेव और नारायण की कृपा पाने का दुर्लभ अवसर, जानें व्रत और पूजन विधि

नई दिल्ली : श्रावण मास की शुक्ल पक्ष एकादशी, जिसे सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस वर्ष 5 अगस्त, मंगलवार को पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की संयुक्त आराधना का विशेष अवसर है। विशेष रूप से संतान की प्राप्ति और पारिवारिक समृद्धि की कामना करने वाले दंपतियों के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है।

पुत्रदा एकादशी का पुण्यकाल और महत्व
दृक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 4 अगस्त को सुबह 11:41 बजे से प्रारंभ होकर 5 अगस्त को दोपहर 1:12 बजे तक रहेगी। चूंकि व्रत उदया तिथि के अनुसार रखा जाता है, अतः एकादशी व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय प्रातः 5:45 बजे और सूर्यास्त सायं 7:09 बजे होगा।

यह एकादशी भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव की भी विशेष कृपा प्राप्ति का दिन माना जाता है। श्रद्धालु इस अवसर पर नारायण और महादेव दोनों की पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ सांसारिक कष्टों का निवारण होता है।

व्रत और पूजन विधि
धर्मशास्त्रों के अनुसार, व्रतधारी प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मंदिर या पूजास्थल पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा अथवा चित्र के समक्ष व्रत का संकल्प लें। उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। पूजा में दीप, धूप, पुष्प, चंदन, फल-नैवेद्य आदि समर्पित करें।

विष्णु सहस्रनाम और शिव स्तुति का पाठ करें तथा एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें। रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन किया जाता है।

व्रत पारण एवं पुण्य लाभ
अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर, यथाशक्ति दान-दक्षिणा देने के पश्चात व्रत का पारण किया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में परिवारिक शांति, सुख-समृद्धि और पापों का नाश भी होता है। यह व्रत श्रावण मास में होने के कारण विशेष पुण्यदायक माना गया है।

धर्माचार्यों का मानना है कि जो श्रद्धालु इस व्रत को पूरे नियम-निष्ठा से करता है, उसे भगवान विष्णु और शिव दोनों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में संतुलन, सकारात्मकता और दिव्यता का संचार होता है।