बिहार के 29 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं, शिक्षा विभाग ने जिलाधिकारियों को दिए तत्काल तैनाती के निर्देश
- Post By Admin on Aug 04 2025

पटना : बिहार में शिक्षकों के बड़े पैमाने पर हुए स्थानांतरण के बाद सरकारी विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था गड़बड़ा गई है। राज्य के 29 विद्यालय ऐसे पाए गए हैं, जहां फिलहाल एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं हैं, जबकि 354 विद्यालयों में केवल एक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई चल रही है।
इस गंभीर स्थिति को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर तत्काल अस्थायी प्रतिनियुक्ति के माध्यम से शिक्षक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
स्थिति की गंभीरता पर विभाग सख्त
शिक्षा विभाग की समीक्षा में सामने आया कि स्थानांतरण के बाद कई विद्यालयों से सभी शिक्षक स्थानांतरित हो चुके हैं, जिससे वहां शिक्षण पूरी तरह ठप हो गया है। इसके अलावा कई स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 40 से अधिक पाया गया है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
डॉ. सिद्धार्थ ने अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि:
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प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम तीन शिक्षक अनिवार्य रूप से तैनात किए जाएं।
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मध्य और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
तत्काल कदम उठाने के निर्देश
शिक्षा विभाग ने जिलों के डीएम को निर्देशित किया है कि वे खुद स्थिति की समीक्षा करें और जहां भी शिक्षक विहीन या अल्प शिक्षक वाले विद्यालय हैं, वहां अस्थायी प्रतिनियुक्ति के माध्यम से शिक्षकों की तैनाती तत्काल करें।
शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
बिहार में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने और गुणवत्ता सुधार की सरकार की तमाम घोषणाओं के बीच यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की बड़ी विफलता के रूप में देखी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के अनियोजित स्थानांतरण से छात्रों की पढ़ाई बाधित होती है और शिक्षकों की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक योजना की जरूरत है।
शिक्षा विभाग ने यह भी संकेत दिया है कि जरूरत पड़ने पर और भी विद्यालयों की सूची तैयार कर आवश्यक शिक्षक पुनः प्रतिनियुक्त किए जाएंगे, ताकि नई शिक्षक बहाली प्रक्रिया (टीआरई-4) पूरी होने तक बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े।
बिहार सरकार जहां एक ओर डोमिसाइल नीति के तहत स्थानीय युवाओं को शिक्षक नियुक्ति में प्राथमिकता देने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर मौजूदा शिक्षकों की तैनाती व्यवस्था में ढिलाई शिक्षा व्यवस्था के लिए चुनौती बनती दिख रही है।