तमिलनाडु : चक्रवात के बाद फसल नुकसान के आकलन में सुस्ती, किसानों में बढ़ी बेचैनी

  • Post By Admin on Dec 15 2025
तमिलनाडु : चक्रवात के बाद फसल नुकसान के आकलन में सुस्ती, किसानों में बढ़ी बेचैनी

चेन्नई : तमिलनाडु में हालिया मानसून और चक्रवात से तबाह हुई फसलों के नुकसान का सर्वे समय पर पूरा न होने से किसानों की चिंता गहराती जा रही है। आकलन में देरी के चलते न तो मुआवजे की प्रक्रिया आगे बढ़ पा रही है और न ही किसान अगली कृषि गतिविधियों की तैयारी कर पा रहे हैं।

लंबे विरोध-प्रदर्शनों के बाद राज्य सरकार ने फसल नुकसान के आकलन में मोबाइल ऐप के उपयोग को सीमित करने का फैसला लिया है। कई क्षेत्रों में अब मैनुअल सर्वे को तरजीह दी जा रही है। किसान इस फैसले का स्वागत तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें आशंका है कि कहीं आकलन और मुआवजा वितरण में फिर देरी न हो जाए।

किसानों का कहना है कि सर्वे की रफ्तार अब भी धीमी और असमान है। कई किसान तब तक खेतों में दोबारा काम शुरू नहीं करना चाहते, जब तक नुकसान का आधिकारिक सत्यापन पूरा न हो जाए। उन्हें डर है कि समय से पहले खेती शुरू करने पर मुआवजे की पात्रता प्रभावित हो सकती है।

समस्या को कर्मचारियों की कमी ने और जटिल बना दिया है। फसल आकलन के जिम्मेदार सहायक कृषि अधिकारियों पर कई-कई राजस्व गांवों का बोझ है, जिससे सर्वे को तेजी और सटीकता से पूरा करना मुश्किल हो रहा है। किसानों का कहना है कि प्रति अधिकारी सौंपा गया कार्यभार व्यावहारिक नहीं है।

नागपट्टिनम, तिरुवरूर, मयिलादुथुराई, तंजावुर और पुडुकोट्टई जैसे जिलों में भारी नुकसान की खबर है। सबसे ज्यादा असर नागपट्टिनम में देखा गया, जहां महज 36 घंटे में करीब 300 मिमी बारिश दर्ज की गई। डेल्टा क्षेत्रों में लगातार बारिश से सांबा और थलाडी की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं और लगभग 90 हजार हेक्टेयर (करीब 2.22 लाख एकड़) क्षेत्र जलमग्न हो गया।

सरकार ने अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में अपग्रेडेड ऐप-आधारित जीपीएस वेरिफिकेशन सिस्टम से आकलन के निर्देश दिए थे, लेकिन नेटवर्क फेलियर और जमीनी स्तर की दिक्कतों के कारण प्रक्रिया सुस्त पड़ गई। इसके विरोध में किसानों ने पारंपरिक पद्धति अपनाने की मांग की, यह कहते हुए कि आपदा के समय नया सिस्टम कारगर नहीं है।

लगातार दबाव के बाद सरकार ने मैनुअल सर्वे को मंजूरी दी, हालांकि हर जिले में कम से कम 10 प्रतिशत आकलन ऐप-आधारित रखने की शर्त बरकरार है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सर्वे में तेजी लाने के लिए नॉन-डेल्टा जिलों से अतिरिक्त सहायक कृषि अधिकारियों की तैनाती की गई है।

अधिकारियों के मुताबिक, सर्वे का बड़ा हिस्सा पूरा हो चुका है और शेष कार्य जल्द निपटाने की कोशिश जारी है। इसके बाद मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि किसान अगले कृषि चक्र की तैयारी कर सकें।