पहली बार दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय का नाट्य रूपान्तर

  • Post By Admin on Oct 01 2023
पहली बार दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय का नाट्य रूपान्तर

जयपुर : शेखावाटी साहित्य संगम के चौथे संस्करण में, महाराणा प्रताप री दिवेर युद्ध री जीत को पहली बार मंचन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह नाट्य दृश्यों में महाराणा प्रताप जी द्वारा बहलोल खां को चीरने, 14 वर्ष की आयु में युवराज अमर सिंह का सेनापति सुल्तान खां पर भाले से वार कर, उसे घोड़े समेत चीर देने, जनजाति सहित सर्व समाज का सहयोग और भामाशाह द्वारा मातृभूमि के लिए अपने सम्पूर्ण धन का समर्पण के प्रस्तुति को दर्शाया गया।

साहित्य संगम के संयोजक अभिमन्यु सिंह का कहना है कि इस प्रकार के गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक नाट्य से हम भारतीय विचार और स्वाभिमान को घर-घर और जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे। विशेषकर, युवा पीढ़ी में विजय की भावना को जागृत करने का कार्य होगा। इस नाटक के दृश्यों में महाराणा प्रताप द्वारा बहलोल खां को चीरते हुए, 14 वर्ष की आयु में युवराज अमर सिंह का सेनापति सुल्तान खां पर भाले से वार कर, उसे घोड़े समेत चीर देते हुए जनजाति सहित सर्व समाज का सहयोग और भामाशाह द्वारा मातृभूमि के लिए अपने सम्पूर्ण धन का समर्पण का प्रस्तुत किया गया।

कलाकार मंडली में सह निदेशक संदीप सहित यशस्वी, अर्जुन, देव आदि शामिल रहे। इसके लिए सशुल्क टिकट व्यवस्था शहर के विभिन्न काउंटर और रजिस्ट्रेशन डेस्क पर उपलब्ध रही। कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों में वक्ताओं ने अपने विचार रखे। “भारतीय संविधान और भारत का स्व” विषय पर लक्ष्मीनारायण भाला, हिरेन जोशी, इंदुशेखर तत्पुरुष ने अपने विचार बांटे। तत्पुरुष ने कहा कि सेक्युलर शब्द का गलत प्रयोग हुआ है और सेक्युलर का अर्थ लौकिक होता है। प्रस्तावना में इसका अर्थ लिखा है पंथनिरपेक्ष। भाला ने कहा स्कंद पुराण के 50 वें अध्याय में भारत शब्द का वर्णन बताया गया है। नारायण भाला ने कहा कि हमारी राजभाषा हिंदी है लेकिन अंग्रेजी के उपयोग के अधिक उपयोग के कारण हम इसे आज तक अपना नहीं पाए हैं क्योंकि हम मानसिक गुलामी से बाहर नहीं आ पाए हैं। भाला ने कहा कि संसद भवन की दीवारों पर धार्मिक प्रसंग लिखे हैं फिर भारत को धर्मनिरपेक्ष कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान ही “स्व” आधारित नहीं है।

“नागरिक शिष्टाचार” विषय पर नारायण भाला, तत्पुरुष, जोशी और मेजर पूनिया ने अपने विचार साझा किए।

“वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दू” विषय पर इंदुशेखर तत्पुरुष और दीपक गोस्वामी ने चर्चा की।

“युवाओं से संवाद” सत्र में मेजर पूनिया ने युवाओं से चर्चा की।

कार्यक्रम में रेवासा धाम के संत श्री डॉ राघवाचार्य जी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। महाराज ने कहा कि साहित्य ज्ञानवर्धन का एक अमूल्य साधन है और अज्ञान के कारण व्यक्ति अनेक ऐसी धारणाएं बना लेता है जिसके बहाव में वह गलत रास्ते पर चला जाता है। भक्ति संध्या में देश के चर्चित भक्ति रैपर नरसी ने “पता नहीं किस रूप में नारायण मिल जाएगा” जैसे भजनों की प्रस्तुति से शेखावाटी की धरा को भक्तिमय किया। नरसी के भजनों को सुनने के लिए युवाओं में काफी उत्साह देखा गया। पर्यावरण विषय पर आयोजित नाटक प्रतियोगिता में सीकर के विभिन्न स्कूलों से आए विद्यार्थियों ने पर्यावरण पर मनमोहक नाटक प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में वर्धमान विद्या विहार सीकर पहला, एम के मेमोरियल द्वितीय और एस ए प्रज्ञा भारती शिक्षण संस्थान तीसरा स्थान प्राप्त किया। श्रीमती गुलाबी देवी विदावतजी विद्यालय ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। स्कूल के विद्यार्थियों ने साहित्य आधारित पुस्तकों का भी अवलोकन किया।