सबेरा नाट्य संस्था द्वारा 5 दिवसीय नाट्य कार्यशाला का उद्घाटन

  • Post By Admin on Nov 13 2024
सबेरा नाट्य संस्था द्वारा 5 दिवसीय नाट्य कार्यशाला का उद्घाटन

पटना : मंगलवार को सबेरा जन उत्थान सामाजिक संस्थान द्वारा आदर्श उत्क्रमित मध्य विद्यालय (बीएमपी कमाउंड) में आयोजित 5 दिवसीय नाट्य कार्यशाला का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर किया गयाl जिसमें कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने अपने विचार रखे और इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की महत्ता को रेखांकित किया। कार्यशाला में प्रमुख वक्ता के रूप में प्रभात कुमार रंजन, अविनाश कुमार, एस के पांडेय, अमित कुमार, स्वेता यादव, पिंकी कुमारी, शशी कुमार किरण, हेना परवीन, और संजय यादव ने भाग लिया। इन सभी ने अपने वक्तव्य में कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए नाटक और रंगमंच की गतिविधियाँ आवश्यक हैं और इसे समय-समय पर विद्यालयों में आयोजित किया जाना चाहिए।

रंगकर्मी सुनील सरला द्वारा प्रशिक्षण:

इस 5 दिवसीय कार्यशाला में रंगकर्मी और कठपुतली कलाकार सुनील सरला बच्चों को अभिनय की विभिन्न बारीकियाँ सिखाएंगे। प्रशिक्षण में शारीरिक भाषा (बॉडी लैंग्वेज), नौ रस, चेहरे के भाव, थियेटर एक्सरसाइज, वाचिक अभिनय और सांस के अभ्यास जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों में अभिनय के साथ-साथ आत्मविश्वास और रचनात्मकता का भी विकास करना है।

प्रशिक्षण लेने वाले बच्चे:

इस कार्यशाला में लगभग 50 बच्चों ने पंजीकरण कराया हैl जिनमें शशि, श्रेया, रोशनी, तृप्ति, आर्यन, खुशी, आयुषी, पिंकी कुमारी, तुलसी, प्रिया, आकृति, प्रत्युष राज, अंशू कुमार, प्रशांक कुमार, अभिमन्यु कुमार, शन्नी कुमार, मिष्टी पारस, गौरी कुमारी, पुष्पा, तान्या, आयुषी, नीतू, गुलाबसा, सिमरन, माही, आभा, वैष्णवी, नेहा, संध्या, जानवी, मन्नत, काजल, रानी, विवेक, आशिक, गोलू, शीतल गुप्ता, श्रेया चौधरी, चंदा, विशाल, बंटी, आंचल, सपना, ब्यूटी, पुष्पांजली कुमारी, सुगंधा, रागनी, बबीता, लक्ष्मी, कशक, खुशी, प्रतिज्ञा, माही, आयुषी, आयुष कुमार, शनि कुमार, अंकित कुमार, साहिल कुमार और मनोहर शामिल हैं।

कार्यशाला का उद्देश्य:

कार्यशाला के संरक्षक और विद्यालय के प्रधानाचार्य कृष्णा कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को रंगमंच की बारीकियों से परिचित कराना और उन्हें नाट्य कला के प्रति जागरूक करना है। इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे और उनके भीतर कला के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करेंगे।