लखीसराय में जड़ी-बूटी दिवस एवं आचार्य बालकृष्ण जन्मोत्सव समारोह का भव्य आयोजन

  • Post By Admin on Aug 04 2025
लखीसराय में जड़ी-बूटी दिवस एवं आचार्य बालकृष्ण जन्मोत्सव समारोह का भव्य आयोजन

लखीसराय : पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार के तत्वावधान में भारत स्वाभिमान पतंजलि लखीसराय द्वारा एक भव्य जड़ी-बूटी समारोह एवं पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी का जन्मोत्सव स्थानीय प्रभात चौक स्थित होटल भारती के सभागार में हर्षोल्लास से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पतंजलि राज्य कार्यकारिणी सदस्य अरविंद कुमार भारती ने की।

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें मुख्य रूप से पतंजलि किसान समिति के जिला प्रभारी आनंदी मंडल, योग समिति के जिला प्रभारी विनोद कुमार, पूर्व प्राचार्य शैलेंद्र कुमार सिंह, सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, इंजीनियर सुरेश प्रसाद सिंह, सतीश कुमार सिंह सहित अन्य गणमान्य अतिथि शामिल हुए।

मुख्य अतिथि शैलेंद्र कुमार सिंह ने जड़ी-बूटी के परंपरागत ज्ञान को जीवन के लिए अनिवार्य बताया और चाय पत्ती से दांत दर्द में राहत का अपना अनुभव साझा किया। हरि दर्शन सिंह उर्फ चुन्नू जी ने हरसिंगार, तुलसी, एलोवेरा और अमरूद के पत्तों के औषधीय गुणों पर विस्तृत प्रकाश डाला।

जिला योग प्रभारी विनोद कुमार ने पुनर्नवा की औषधीय उपयोगिता बताते हुए कहा कि यह सर्पदंश, लिवर रोग और विषैले संक्रमण में अत्यंत लाभकारी है। किसान समिति प्रभारी आनंदी मंडल ने चिड़चिड़ी, अतिबाला, पपीता और शीशम जैसे पौधों के गुणों को रेखांकित करते हुए बताया कि ये घरेलू उपचारों में रामबाण हैं।

राज्य कार्यकारिणी सदस्य अरविंद कुमार भारती ने आयुर्वेद की समृद्ध परंपरा को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि लीवर रोगों में औषधीय पत्तों का संयोजन अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

कार्यक्रम में सतीश कुमार सिंह (केएसएस कॉलेज), रोहित कुमार (प्रबंध संपादक, नवलकंड), डॉ. अनिल कुमार (पतंजलि प्रतिनिधि), रविंद्र कुमार सिंह (पूर्व प्राचार्य), अरुण कुमार सिंह ‘ज्ञान सागर’ सहित कई वक्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए और पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी के दीर्घायु की कामना की।

मंच संचालन अरविंद कुमार भारती ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन विनोद कुमार ने अर्पित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में जितेंद्र कुमार, सोनू कुमार, लक्ष्मी नारायण कृष्णा, हरिओम कृष्णा व संजीत कुमार की भूमिका सराहनीय रही।

यह आयोजन न केवल आयुर्वेदिक जागरूकता का माध्यम बना, बल्कि प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति आमजन में विश्वास जगाने वाला भी रहा।