पर्यावरण योद्धा सम्मान से सम्मानित होंगी लोक गायिका अनिता

  • Post By Admin on Sep 13 2023
पर्यावरण योद्धा सम्मान से सम्मानित होंगी लोक गायिका अनिता

मुजफ्फरपुर: मंगलवार को सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान के संयोजक लोक कलाकार सुनील कुमार की अध्यक्षता में बैठक रखी गई। बैठक में संस्थान के संयोजक ने बताया कि पटना के गांधी मैदान में पीपल-नीम-तुलसी अभियान पर्यावरण समागम का आयोजन किया गया था। जिसमें पीपल-नीम-तुलसी अभियान के संस्थापक सह अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार, अभियान के उत्प्रेरक राजेश प्रसाद, प्रेमलता सिंह, मीणा राय, अखिलेश कुमार सिंह, विवेक कुमार यादव, ज्ञानी ज, प्रद्युम्न यादव, संजीव बाबा, प्रशांत झा, शिखा देवी, डॉ. आर. के. ठाकुर आदि लोग भाग लिए। सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया की आगामी 8 अक्टूबर रविवार को युथ होस्टल में पर्यावरण योद्धा सम्मान समारोह आयोजित की जाएगी। इस सम्मान समारोह में पीपल-नीम-तुलसी अभियान के कार्यरत योद्धाओं को सम्मानित किया जाएगा।

बिहार राज्य के अन्य जिला में जो भी पर्यावरण संरक्षण में बेहतर कार्य कर रहे हैं उन सभी को सम्मानित किया जाएगा। सम्मान समारोह के सफल आयोजन हेतु एक कमिटी का गठन किया गया था जिसमें चयनित कर सभी पर्यावरण योद्धाओं की सूची तैयार की गई। पीपल-नीम-तुलसी अभियान के संयोजक पर्यावरणविद डॉ. धर्मेंद्र ने 8 अक्टूबर 2023 को प्रथम पर्यावरण सम्मान समारोह 2023 में लोक संस्कृति की हस्ताक्षर लोक गायिका अनिता कुमारी को पर्यावरण योद्धा सम्मान के लिए चयनित होने की सूचना व शुभकामना दी।

सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान के संयोजक लोक कलाकार सुनील कुमार, संरक्षक विजय मिश्र, सरला श्रीवास युवा मंडल की अध्यक्ष सुमन कुमारी, सचिव अदिति ठाकुर, संरक्षक भोला साह, सदस्य पुर्णिमा मिश्र, ज्योति मिश्रा, सरला श्रीवास सोशल कल्चरल रिसर्च फाउंडेशन अध्यक्ष धीरज कुमार, किलकारी बाल केंद्र की समन्वयक आरती कुमारी, परफेक्ट सॉल्यूशन सोसाइटी के सचिव अनिल कुमार ठाकुर, अमन चिल्ड्रेन स्कूल के प्राचार्य बबिता ठाकुर, सेवादार मंच के अविनाश कुमार ने सरला श्रीवास युवा मंडल की संरक्षक लोक संस्कृति की हस्ताक्षर लोक गायिका अनिता कुमारी को पर्यावरण योद्धा सम्मान के लिए चयनित होने पर बधाई व शुभकामना दी।

लीची वाले शहर के रूप में मशहूर मुजफ्फरपुर के मुसहरी प्रखंड की मालीघाट निवासी लोक गायिका अनिता जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर के मंचो पर सम्मानित हो चुकी हैं। बज्जिका के साथ साथ भोजपुरी, मैथिली एवं जन जागरूकता गीतों के कारण देश समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना चुकी हैं। इसका प्रधान श्रेय मुजफ्फरपुर में स्थित स्वर्णिम कला केंद्र की उषा किरण, दिव्या स्मृति, गांव जवार लोक कलाकारों के जनसंगठन के एम. अखलाक, स्वाधीन दा एवं अपने गुरु मुजफ्फरपुर शहर के चर्चित संगीत शिक्षक पंडित नंदलाल मिश्र, पंडित शिवशंकर मिश्र को देती हुई लोक गायिका अनीता कहती हैं कभी देश कला व संस्कृति के लिए बनारस व कोलकाता को देखा करता था और कोलकाता बनारस मुजफ्फरपुर को। मुजफ्फरपुर के गौरवशाली विरासत जिसमें स्वर कोकिला पद्मश्री विंध्यवासनी देवी, शारदा सिन्हा, वज्जन खां, बृजबाला देवी, पंडित मुनींद्र शुक्ल को अपना आदर्श मानने वाली लोक गायिका अनीता पुरखा पुरनिया को अपने हृदय में सजाए बसाए हुए निरंतर अपने सुमधुर कंठो से मंचो पर गीतों की बरसात करती रहती हैं। मतदाता जागरूकता अभियान, शिक्षा परियोजना, नशा मुक्ति अभियान, महिला अधिकार,बालिका शिक्षा, जल जीवन हरियाली, रबी किसान चौपाल, खरीफ किसान चौपाल, युवा महोत्सव, पटना साहिब महोत्सव, शनि बहार, कला संस्कृति युवा विभाग, कला श्री महापर्व, संग्रहालय सप्ताह, खादी ग्रामोद्योग संघ, सरला श्रीवास सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान के मंचों पर अपनी नियमित उपस्थिति द्वारा अपनी खास पहचान बनाई हैं। मंचो के साथ साथ लोक गायिका अनिता किलकारी बाल केंद्र रोहुआ के बच्चों को विलुप्त होते गीतों का प्रशिक्षण देने के साथ ही लोक कला संस्कृति को सहेजने में जुटी हुई हैं। लोक संगीत के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए "उस्ताद बिस्मिल्लाह खां सम्मान", "पुरखा पुरनिया सम्मान", स्त्रीरत्न लोकनायिका सरला श्रीवास सम्मान, किलकारी कला सम्मान, यादव चंद्र पांडेय सम्मान, विंटर कार्निवाल सम्मान, उद्भव लोक कला सम्मान, चंद्रगुप्त मौर्य सम्मान, महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जन्म शताब्दी सेवा वर्ती सम्मान, उत्कृष्ट कला सम्मान, चरखा सम्मान के साथ साथ माननीय कला एवं संस्कृति मंत्री श्री शिवचंद्र राम से वैशाली में सम्मानित हो चुकी हैं।

लोकगीतों की समृद्ध एवं गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए लोकगायिका अनिता ने विंधवासनी देवी लोक कला संस्कृति मंच का गठन कर तिरहुत की लोक कला संस्कृति को सहेज रही हैं। मूकबधिर, दृष्टिहीन बच्चों के बीच उपस्थित रहने वाली लोक गायिका अनीता वर्ष जल संचयन, जल संरक्षण के साथ साथ कठपुतली कला को आगे बढ़ा रही हैं।