महाकुंभ के 15 दिन बाद संगम से आई ऐसी खबर की वैज्ञानिक भी रह गए हैरान
- Post By Admin on Mar 17 2025

प्रयागराज : महाकुंभ के समापन के बाद, संगम क्षेत्र से पर्यावरण के मामले में एक अच्छी खबर सामने आई है, जिसने वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों को हैरान कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी में डॉल्फिन की संख्या में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। 2021 में जहां गंगा में डॉल्फिन की संख्या 3,275 थी, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 6,324 हो गई है। यह वृद्धि गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार का संकेत देती है, जो महाकुंभ के दौरान किए गए सफाई और प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों का परिणाम है।
महाकुंभ के समापन के 15 दिन बाद भी संगम तट पर विदेशी पक्षियों की भारी संख्या में मौजूदगी ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। आमतौर पर ये पक्षी फरवरी के अंत तक लौट जाते हैं, लेकिन इस बार ये 13 मार्च तक संगम में बने रहे हैं। पक्षी वैज्ञानिकों का मानना है कि इन विदेशी पक्षियों का देर तक रहना जल और वायु की शुद्धता का प्रमाण है। विशेष रूप से लारस रीडिबंडस प्रजाति के ये पक्षी प्रदूषण मुक्त जल और स्वच्छ हवा के संकेतक माने जाते हैं। इनका संगम में रहना इस बात का संकेत है कि गंगा के जल में सुधार हुआ है और पर्यावरण अनुकूल हुआ है।
गंगा के जल की शुद्धता का यह प्रमाण सिर्फ विदेशी पक्षियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गंगेटिक डॉल्फिन की बढ़ती संख्या भी गंगा के जल की गुणवत्ता के सुधार की पुष्टि करती है। इन डॉल्फिनों को गंगा के जल की स्वच्छता का अहम संकेतक माना जाता है। पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा में डॉल्फिन की संख्या बढ़ी है, विशेष रूप से फतेहपुर प्रयागराज से लेकर पटना के बीच। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।
महाकुंभ 2025 के दौरान गंगा की सफाई और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर राज्य और केंद्र सरकार ने विशेष अभियान चलाए थे। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के जल में गिरने वाले गंदे नालों पर सख्ती से रोक लगाई गई थी। इसके परिणामस्वरूप गंगा की सफाई में सुधार हुआ है, जो अब साफ तौर पर देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले वर्षों में गंगा और भी अधिक स्वच्छ हो सकती है।
पर्यावरणविदों और पक्षी वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर संगम क्षेत्र में जल और वायु की शुद्धता बनी रहती है, तो यह पूरे क्षेत्र की जैव विविधता के लिए फायदेमंद होगा। संगम में विदेशी पक्षियों की संख्या और गंगा में डॉल्फिनों की बढ़ती आबादी इस बात की पुष्टि करती है कि प्रयागराज का पर्यावरण पहले की तुलना में काफी बेहतर हो चुका है।
वैज्ञानिकों का सुझाव है कि सरकार को जल स्वच्छता के लिए उठाए गए कदमों को निरंतर जारी रखना चाहिए। महाकुंभ के बाद भी गंगा नदी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, अपशिष्ट निस्तारण और प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को कड़ाई से लागू करना जरूरी है, ताकि गंगा का जल स्वच्छ बना रहे और यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे।
संगम क्षेत्र में विदेशी पक्षियों की मौजूदगी और गंगेटिक डॉल्फिन की बढ़ती संख्या यह साबित करती है कि गंगा पहले से कहीं अधिक स्वच्छ हो चुकी है। यह न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि पर्यटन और धार्मिक आस्था के लिहाज से भी एक सकारात्मक संकेत है।