राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर पर्यावरण भारती द्वारा पौधारोपण, औषधीय वृक्ष आंवला रोपा गया

  • Post By Admin on Aug 03 2025
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर पर्यावरण भारती द्वारा पौधारोपण, औषधीय वृक्ष आंवला रोपा गया

जमुई : कवि दिवस के अवसर पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती के उपलक्ष्य में रविवार को महावीर वाटिका, जयशंकर नगर, बोधवन तालाब परिसर में पर्यावरण भारती द्वारा औषधीय आंवला वृक्ष का पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण की चेतना को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प भी लिया गया।

कार्यक्रम का नेतृत्व पर्यावरण प्रहरी विजय कुमार रवि ने किया। पौधारोपण कार्यक्रम में पर्यावरण भारती के संस्थापक एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक राम बिलास शाण्डिल्य ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा, “पेड़-पौधे न केवल जीवनदाता हैं, बल्कि मानव से प्रेम और संरक्षण की अपेक्षा करते हैं। वे केवल देते हैं, कुछ लेते नहीं, इसीलिए कहा गया है— ‘परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः।’”

उन्होंने कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक ऑक्सीजन की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि अब प्रत्येक परिवार को पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए। “अपने बच्चों के भविष्य के लिए हर परिवार को कम से कम 10 पेड़ लगाने चाहिए,” उन्होंने कहा। साथ ही बताया कि हिन्दी माह के अंत में "न" अक्षर आने वाले महीनों—सावन, अगहन, फाल्गुन—में पौधारोपण अधिक फलदायी और दीर्घायु होता है।

इस अवसर पर पर्यावरण सह प्रांत संयोजक एवं अवकाशप्राप्त प्रधानाचार्य जय शंकर पाण्डेय ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म 3 अगस्त 1886 को उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले के चिरगांव में हुआ था। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से वे कविता लेखन में आए और 1912 में प्रकाशित 'भारत भारती' काव्य संग्रह से महात्मा गांधी इतने प्रभावित हुए कि उन्हें “राष्ट्रकवि” की उपाधि दी। उन्हें 1954 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।

पौधारोपण कार्यक्रम में जय शंकर पाण्डेय, विजय कुमार रवि, साधु प्रसाद, रजनीकांत, देवेंद्र कुमार सिंह एवं राम बिलास शाण्डिल्य समेत कई पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे। सभी ने कवि दिवस को वृक्षारोपण के माध्यम से स्मरणीय और प्रेरणादायक बनाने की सराहना की।