जेडीयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा, जन सुराज से जुड़े
- Post By Admin on Nov 30 2024

सीतामढ़ी : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को सीतामढ़ी में एक और बड़ा झटका लगा है। जेडीयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष साज़ी अहमद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर से मुलाकात कर जन सुराज का दामन थाम लिया।
यह कदम बिहार में जन सुराज पार्टी की बढ़ती पकड़ और नीतीश कुमार की पार्टी के भीतर असंतोष को उजागर करता है। साजी अहमद ने जन सुराज के नेतृत्व में बिहार के बदलाव के प्रति अपनी उम्मीदों का इज़हार किया और पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होकर यह फैसला लिया। साजी अहमद सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के मेहसौल गांव के निवासी हैं।
इस बीच जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार डॉ. विनायक गौतम ने तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद उपचुनाव की तैयारियों को लेकर जनसंपर्क शुरू कर दिया है। डॉ. विनायक गौतम ने सीतामढ़ी के विभिन्न प्रखंडों में कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और आगामी चुनाव के लिए उनका समर्थन मांगा। उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी एक नए और सशक्त बदलाव का प्रतीक है और वह विधान परिषद में जन सुराज की विचारधारा को मजबूती से प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं।
डॉ. विनायक गौतम ने जेडीयू के उम्मीदवारों पर तीखा हमला करते हुए कहा, “यह लोग केवल अपने भविष्य को संवारने के लिए चुनाव में उतर रहे हैं।” उन्होंने जेडीयू को एक सूखे घड़े से तुलना करते हुए कहा कि ये लोग पहले खुद को भरना चाहेंगे, यानी कि यह केवल अपनी निजी हितों की रक्षा करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि जेडीयू के नेता सिर्फ अपनी राजनीतिक कुर्सी बचाने के लिए काम कर रहे हैं और इनका जनहित से कोई लेना-देना नहीं है।
डॉ. गौतम ने जन सुराज पार्टी की प्रमुख विचारधारा पर जोर देते हुए कहा कि उनका लक्ष्य बिहार में एक सशक्त और बदलाव लाने वाली राजनीति को स्थापित करना है। उनका मानना है कि बिहार के लोग अब जागरूक हो गए हैं और बदलाव की दिशा में जन सुराज पार्टी को समर्थन देंगे।
यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू पार्टी के लिए एक नई चुनौती पेश करता है क्योंकि पार्टी के भीतर असंतोष और विरोध बढ़ते जा रहे हैं। जन सुराज पार्टी की बढ़ती ताकत और नीतीश कुमार के खिलाफ होती आलोचनाएं यह संकेत देती हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव हो सकता है।