अब एटीएम से 500 की जगह निकलेंगे 100-200 के नोट, RBI ने तय की नई दिशा
- Post By Admin on Jun 19 2025
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नई दिल्ली : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के एक महत्वपूर्ण निर्देश का असर अब देशभर में साफ दिखने लगा है। देश के 73% एटीएम से अब 500 रुपए के बजाय 100 और 200 रुपए के नोट निकलने लगे हैं। आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर 2025 तक 75% एटीएम में छोटे मूल्यवर्ग के नोटों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। इसका उद्देश्य आम जनता, खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में दैनिक नकद लेन-देन को सरल बनाना है।
ग्रामीण भारत को मिलेगा फायदा
देश की सबसे बड़ी नकदी प्रबंधन कंपनी सीएमएस इंफो सिस्टम्स के अनुसार, वह देशभर में 2.15 लाख एटीएम में से करीब 73,000 का संचालन करती है। कंपनी के कैश मैनेजमेंट अध्यक्ष अनुश राघवन ने बताया कि “भारत में 60% उपभोक्ता खर्च अब भी नकद आधारित है। ऐसे में 100 और 200 रुपये के नोटों की उपलब्धता छोटे दुकानदारों, किसानों और स्थानीय उपभोक्ताओं के लिए बेहद जरूरी है।”
RBI ने तय किए दो चरणों में लक्ष्य
RBI के अप्रैल 2025 के सर्कुलर के अनुसार:
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30 सितंबर 2025 तक 75% एटीएम में 100 या 200 रुपये के नोटों के कम से कम एक कैसेट से नकदी निकालने की सुविधा होनी चाहिए।
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31 मार्च 2026 तक यह संख्या 90% एटीएम तक पहुंचानी होगी।
यह कदम खासकर छोटे लेन-देन को सुगम बनाने और बड़े नोटों से छुट्टे की समस्या को दूर करने के मकसद से लिया गया है।
कैश निकासी होगी महंगी
RBI ने 1 मई 2025 से इंटरचेंज फीस में भी इजाफा कर दिया है। इसका सीधा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो मासिक मुफ्त निकासी सीमा पार करते हैं। इंटरचेंज फीस वह शुल्क होता है जो एक बैंक, दूसरे बैंक को ग्राहक द्वारा एटीएम उपयोग करने पर भुगतान करता है, जिसे कई बार उपभोक्ताओं पर ट्रांसफर कर दिया जाता है।
बदलती एटीएम संस्कृति का संकेत
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन और नकदी दोनों के सह-अस्तित्व को बेहतर ढंग से संतुलित करेगा। साथ ही यह छोटे दुकानदारों, सब्जी विक्रेताओं, ऑटो चालकों और दिहाड़ी मजदूरों जैसे वर्गों के लिए नकदी के सुगम उपयोग को बढ़ावा देगा।
RBI की नई पहल छोटे मूल्यवर्ग के नोटों की पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक ठोस कदम है। यह आम जनता की सुविधा बढ़ाने के साथ-साथ वित्तीय समावेशन को भी मजबूत करेगा। अब उपभोक्ताओं को एटीएम से 100-200 रुपये के नोट निकालने में आसानी होगी, वहीं बैंकों को अपनी नकद प्रबंधन प्रणाली को अधिक उपभोक्ता-केंद्रित बनाना होगा।