भारतीय बाप : फादर्स डे पर विशेष

  • Post By Admin on Jun 15 2025
भारतीय बाप : फादर्स डे पर विशेष

आज नाना प्रकार के बाप के लिए गौरव का दिवस है !

यूँ तो इस चराचर जगत में सभी प्राणियों का कोई न कोई बाप अवश्य होता है जिसके कई प्रकार होते हैं - मौलिक बाप, अमौलिक बाप , विलायती बाप, आफिसियल - ननआफिसियल बाप , सिंथेटिक बाप इत्यादि । 

उपरोक्त प्रकारों में भारतीय बाप विशेष किसिम का होता है। यह कुछ खास ही ठोस और भयंकर द्रव्य से बना होता है , जो हर प्रकार के बाप का बाप होता है । इस विशुद्ध भारतीय बाप की घनघोर आस्था ठुकाई - पिटाई  में होती है जो अन्य प्रकार के बाप से इसे अलग करती है। बच्चों के रोने पर यह उसे टाफी देकर चुप नहीं कराते, बल्कि चमरौधे जूते से भरपूर कुटाई करते हुए चुप होने का सिग्नल संप्रेषित करते हैं। बच्चे भी पाकिस्तानावस्था में पहुंचते हुए भीतर ही भीतर दर्द सहते हुए मौन धारण कर लेते हैं और दूसरी ओर कोई बच्चा यदि किसी चीज के लिए भूख हड़ताल कर दे तो उसे स्वास्थ्य के लिए अच्छा मानते हुए यह स्टेटमेंट जारी कर देते हैं कि " अच्छा है , भूख लगेगी तो खुद खाएगा। शरीर को कुछ आराम भी तो चाहिए...!! और जब वही बच्चा कालांतर में बाप बनता है तो अपने बाप के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए बखूबी अपने बाप की गरिमा को बनाए रखता है । यह उज्ज्वल परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है ....!!

मित्र ! किसी के बाप में हिम्मत नहीं कि भारतीय बाप का मुकाबला कर सके । एकमात्र भारतीय बाप ही है जो स्वयं भूखा रहकर बच्चे का पेट भरता है । पैरों में हजार कांटे भले ही चुभे, पर बच्चे के पांव खाली न हो। आंसू पीकर मुसकुराने की कला एकमात्र भारतीय बाप की किस्मत में ही 'ऊपर' वाले बाप ने लिखी है ! अतः वह मानुस किस्मत वाला होता है जिसका बाप भारतीय होता है। इसी भारतीय बाप की विशेषताओं से आकर्षित होकर हमारा एक पड़ोसी मुल्क भी भारत को बाप बनाने की ख्वाहिश पाले बैठा है कि काश हमारा बाप भी भारतीय बाप होता ! हालांकि उसे शायद पता नहीं कि भारत ही उसका बाप था, है और रहेगा । हालांकि समर्पण, सेवा और एकनिष्ठता के सर्वोच्च सूचकांक के कारण विश्व की अधिकांश तरुणियों की सदिच्छा होती है कि उनके बच्चे का बाप भी भारतीय बाप हो...!

बंधु ! यहां सड़क से लेकर संसद तक का कोई ना कोई बाप अवश्य होता है । क्योंकि बिना बाप के सड़क के रास्ते संसद तक नहीं पहुंचा जा सकता।  कई भोंपास्वामी किसी न किसी बाप के कारण ही संसद तक पहुंचे हैं....।। यदि उन्हें कोई बाप नहीं मिला होता या उन्होंने किसी को बाप नहीं बनाया होता तो ईंट भट्ठे में ही पथाई में मगन होते। इसलिए आज जैविक बाप से अधिक क्रेज सिंथेटिक बाप का हो गया है । 

यह बाप ही है जिसके दम पर बबुआ बवाल काटा करते हैं और गर्दभ राशि के पचपन वर्षीय बच्चा अपने इसी बाप के कारण राजशाही पार्टी का मुखिया बनकर कहता है “जानता नहीं मेरा बाप कौन है?” 

यह भारतीय बाप ही है जो अपने बच्चों में जूते से कूट-कूट कर संस्कार  भरता है और बच्चे का संस्कार देखिए कि वह सिर झुकाकर अपने इस भारतीय बाप के जूता प्रदत्त प्रसाद को सिर झुकाकर ग्रहण करता है । बाप की यह प्रजाति किसी अन्य द्वीप पर दुर्लभ है। 

हालांकि युग के अनुसार बाप के  कई प्रकर में एक आफिसियल बाप भी हैं -  जिसकी विशद व्याख्या भीष्म साहनी ने अपनी कहानी चीफ की दावत में की है। यह आफिसियल बाप सभी प्रकार के बाप का बाप होता है जिसके हाथ में इन्क्रीमेंट से लेकर डिपुटेशन एवं अन्य पावर भी निहित होते हैं । 

जो भी व्यक्ति इस आफिसियल बाप को बाप नहीं मानता, उस व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में शनि की साढ़ेसाती गोचर होने लगती है जिसके प्रभाववश संबंधित व्यक्ति की तीन चार सौ किलोमीटर दूर जंगल-झाड़ में प्रतिनियुक्ति होने के साथ विभागीय कार्रवाई, इन्क्रीमेंट बाधा, वेतन बंदी आदि के रूप में फलाफल दृष्टिगत होने लगता है वहीं दूसरी तरफ जो व्यक्ति इस आफिसियल बाप को बाप कहते हुए चरणचाट प्रतियोगिता में एक दूसरे को धकियाते हुए बाजी मार जाते हैं, उनके फ्लैट, प्लाट एवं ज्वेलरी पर लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है । उनके नोट गिनते गिनते मशीन के भी दांत और आंत दोनों जवाब दे जाते हैं। उन्हें हर प्रकार के पदार्थ खाने की तब तक छूट रहती है, जब तक उनके चरणों में लहालोट होकर लोटते- पोटते रहते हैं । वो माटी खाए या पेंट..... हर प्रकार के पदार्थों को खाने की उन्हें खुली छूट होती है । ऐसी स्थिति में उसे किसी के साथ कुछ भी करने की विशेष इजाजत होती है बाप की तरफ से ! हालांकि इस तरह की विशेष इजाजत कुछ विशेष लोगों को ही मिलती है...।

डॉ. सुधांशु कुमार (लेखक शिक्षाविद, स्तंभकार एवं व्यंग्यकार हैं)